बलात्कार पीड़िता की जांच - "मेडिकल ऑफिसरों को सीआरपीसी की धारा 164 ए (2) और (3) के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दें" : इलाहाबाद एचसी ने राज्य सरकार से कहा
LiveLaw News Network
29 Aug 2021 3:30 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते यूपी सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (Chief Medical Officers) को एक सर्कुलर जारी करके चिकित्सा अधिकारियों को सीआरपीसी के प्रावधानों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दे। न्यायालय ने विशेष रूप से कहा कि सीआरपीसी की धारा 164 ए (2) और (3) के तहत मेडिकल रिपोर्ट और उनकी अस्थायी/ प्राथमिक राय (provisional/primary opinion) जमा करते समय सीआरपीसी के प्रावधानों का सख्ती से पालन हो।
न्यायमूर्ति मनीष कुमार की खंडपीठ ने यह भी निर्देश दिया कि उत्तर प्रदेश राज्य के सभी जिलों के लिए निर्धारित प्रारूप जिस पर चिकित्सा अधिकारियों द्वारा मेडिकल रिपोर्ट दी जानी है, वह फॉर्मेट एक समान होगा।
अदालत बलात्कार के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर अन्य बातों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 363,धारा 342 और POCSO अधिनियम की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जब जमानत की अर्जी पर कोर्ट में सुनवाई हुई तो कोर्ट ने रेप पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पर गौर करने पर हैरानी जताई क्योंकि डॉक्टर ने रिपोर्ट में और कॉलम में प्रोविजनल/प्राइमरी मेडिकल ओपिनियन नाम से प्रासंगिक कुछ भी नहीं लिखा था। रिपोर्ट में केवल ऊंचाई और पीड़िता का वजन आदि लिखा हुआ था।
यह पूछे जाने पर कि प्राथमिकी में कथित अपराध के संबंध में डॉक्टर ने कोई अस्थायी राय क्यों नहीं दी, उसने कहा कि पूरक रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद ही राय दी जा सकती है, हालांकि, अदालत ने उक्त तर्क को स्वीकार नहीं किया।
न्यायालय ने कहा,
"अस्थायी/प्राथमिक राय जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा किए बिना दी जानी है। जांच रिपोर्ट के बाद एक पूरक रिपोर्ट का पालन किया जाना है और यही कारण है कि अनंतिम/प्राथमिक राय का कॉलम पूरक रिपोर्ट से पहले है। अस्थायी/ प्राथमिक राय पीड़िता की नैदानिक जांच (clinical examination) के अनुसार दी जानी है।"
कोर्ट ने आगे कहा कि ज्यादातर मामलों में डॉक्टरों द्वारा अस्थायी राय हमेशा दी जाती है, जिन्होंने पीड़ितों की मेडिकल जांच की है और यह पहली बार है कि कोर्ट इस तरह की तुच्छ रिपोर्ट पर विचार कर रहा है।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय के वरिष्ठ रजिस्ट्रार को सीआरपीसी की धारा 164 ए का सख्ती से अनुपालन करने के इस आदेश को प्रधान सचिव (चिकित्सा स्वास्थ्य) और महानिदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) को संप्रेषित करने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल - सतीश बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और अन्य