DHCBA ने एलजी के आदेश का किया विरोध, पुलिस थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सबूत दर्ज करने पर जताई आपत्ति
Amir Ahmad
23 Aug 2025 12:57 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने उपराज्यपाल (LG) वी.के. सक्सेना द्वारा जारी उस अधिसूचना का कड़ा विरोध किया, जिसमें दिल्ली के पुलिस थानों में स्थित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम्स को पुलिस अधिकारियों के बयान दर्ज करने के लिए निर्दिष्ट स्थल घोषित किया गया।
एसोसिएशन ने 22 अगस्त को पारित अपने प्रस्ताव में कहा कि 13 अगस्त को जारी यह अधिसूचना न्याय के मूल सिद्धांतों और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के खिलाफ है। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि इस अधिसूचना के लागू होने से मुकदमों की प्रक्रिया प्रभावित होगी और ट्रायल के परिणामों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
प्रस्ताव में कहा गया,
“दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति 13.08.2025 की अधिसूचना की कड़ी निंदा करती है। पुलिस स्टेशनों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम को पुलिस अधिकारियों के सबूत दर्ज करने के लिए 'निर्दिष्ट स्थल' घोषित करना न्याय प्रणाली की निष्पक्षता पर प्रहार है।”
इससे पहले, 21 अगस्त को राष्ट्रीय राजधानी की सभी जिला अदालत बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने इस अधिसूचना के खिलाफ 22 और 23 अगस्त को दो दिवसीय हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था। समिति ने उपराज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री, दिल्ली के विधि मंत्री, मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को पत्र लिखकर इस अधिसूचना पर “कड़ी आपत्ति” दर्ज कराई थी।
उल्लेखनीय है कि अधिसूचना के अनुसार दिल्ली के 226 पुलिस थानों को ऐसे “निर्दिष्ट स्थल” घोषित किया गया, जहां से पुलिस अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालतों में गवाही दे सकेंगे।
बहरहाल भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 265(3) का दूसरा प्रावधान राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित निर्दिष्ट स्थल से ऑडियो-वीडियो माध्यम द्वारा गवाहों की क्रॉस एक्जामिनेशन की अनुमति देता है। वहीं धारा 308 कहती है कि मुकदमे के दौरान लिया गया सारा सबूत आरोपी की उपस्थिति में ही होना चाहिए। यदि आरोपी की व्यक्तिगत उपस्थिति माफ कर दी गई हो तो यह प्रक्रिया उसके वकील की उपस्थिति में ऑडियो-वीडियो माध्यम से अधिसूचित निर्दिष्ट स्थल पर की जा सकती है।

