धर्मस्थल दफन मामला: ट्रायल जज ने खुद को सुनवाई से किया अलग, कहा- वीरेंद्र हेगड़े के परिवार द्वारा संचालित लॉ कॉलेज में की थी पढ़ाई

Amir Ahmad

4 Aug 2025 3:24 PM IST

  • धर्मस्थल दफन मामला: ट्रायल जज ने खुद को सुनवाई से किया अलग, कहा- वीरेंद्र हेगड़े के परिवार द्वारा संचालित लॉ कॉलेज में की थी पढ़ाई

    धर्मस्थल दफन मामले में मीडिया पर मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने से रोक लगाने वाला अंतरिम आदेश पारित करने वाले ट्रायल कोर्ट के जज ने अब खुद को मामले की सुनवाई से अलग कर लिया। जज ने कहा कि उन्होंने उसी लॉ कॉलेज से पढ़ाई की है जिसे वादी हर्षेन्द्र कुमार के परिवार द्वारा संचालित किया जाता है।

    एडिशनल सिटी सिविल एंड सेशंस जज विजय कुमार राय ने पहले एकतरफा अंतरिम आदेश जारी कर यूट्यूब चैनलों और मीडिया को धर्मस्थल धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े के भाई हर्षेन्द्र कुमार उनके परिवार उनके द्वारा संचालित संस्थानों और श्री मंजुनाथेश्वामी मंदिर धर्मस्थल के खिलाफ कोई मानहानिक सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया था।

    बाद में पत्रकार नवीन सूरिंजे, जो इस आदेश से प्रभावित पक्षों में शामिल थे, ने अदालत के समक्ष यह तथ्य रखा कि जज स्वयं मंगलुरु स्थित एसडीएम लॉ कॉलेज के स्टूडेंट रह चुके हैं जो हर्षेन्द्र कुमार के परिवार द्वारा संचालित है।

    वादी ने इस आधार पर आपत्ति जताई कि समय देने का अनुरोध असंगत है ,ट्रायल कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना यह कहा,

    "यह एक तथ्य है कि लगभग 25 वर्ष पहले इस अदालत के पीठासीन अधिकारी ने एसडीएम लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी, जिसे वादी के परिवार द्वारा संचालित किया जाता है। हालांकि इस अदालत के पीठासीन अधिकारी ने न तो वादी को कभी देखा है और न ही उनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कभी बात की है। परंतु न्यायपालिका में जनता का विश्वास बना रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि न सिर्फ न्याय हो बल्कि वह होते हुए दिखाई भी दे। इसलिए इस अदालत का मानना है कि उचित होगा कि इस वाद (OS No.5185/2025) को किसी अन्य न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे, जैसा कि बेंगलुरु सिटी सिविल कोर्ट एक्ट, 1979 की धारा 13(2)(b) के अंतर्गत प्रावधान है।"

    गौरतलब है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को यूट्यूब चैनल 'कुडल रैम्पेज' के खिलाफ पारित इस एकतरफा गैग ऑर्डर रद्द कर दिया और मामले को ट्रायल कोर्ट को नए सिरे से विचार के लिए वापस भेज दिया था।

    इस केस के अन्य प्रतिवादी पहले ही ट्रायल कोर्ट से अंतरिम आदेश को रद्द करने की मांग कर चुके हैं, जिसकी सुनवाई फिलहाल चल रही है।

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