दिल्ली दंगे : जेल में दूसरे कैदियों के हाथों लगातार उत्पीड़न और पिटाई का सामना करना पड़ रहा है: इशरत जहां ने दिल्ली कोर्ट मेंं बताया
LiveLaw News Network
24 Dec 2020 8:45 AM IST
इस साल फरवरी में पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में यूएपीए के तहत मुकदमे का सामना कर रहीं पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां ने मंगलवार (22 दिसंबर) को कड़कड़डूमा कोर्ट (दिल्ली) को बताया कि उन्हें आज अन्य कैदियों द्वारा बुरी तरह पीटा गया और उनके हाथों वह लगातार उत्पीड़न का सामना कर रही हैं। दूसरे कैदी उनके साथ नियमित रूप से मार-पीट कर रहे हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष उन्होंने एक महिला पूजा @ गोल्डन और गुलशन के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि "वे एक समलैंगिक हैं और उसकी गतिविधि बहुत अप्रिय है" और वह उक्त कैदियों से अपनी सुरक्षा को लेकर डरी हुई हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जहां ने अदालत को बताया,
"एक महीने में यह दूसरी घटना है। आज सुबह 6.30 बजे, उन्होंने (कैदियों ने) मुझे बुरी तरह से पीटा और मुझे मौखिक रूप से अभद्रता की। कैदियों में से एक ने अपना हाथ काट लिया, इसलिए मुझे झूठी शिकायत पर सजा दी गई। सौभाग्य से, जेल अधिकारियों ने उनकी बात नहीं मानी। मैंने लिखित शिकायत दी है। वे मुझे आतंकवादी कहते रहते हैं। उन्होंने कैंटीन में मुझसे पैसे की भी मांग की।"
कुछ अन्य आरोपी व्यक्तियों ने भी कहा कि जेल में उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है।
कोर्ट का आदेश
इशरत जहां द्वारा लगाए गए आरोपों के मद्देनजर, अदालत ने जेल अधीक्षक को एक विस्तृत जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए और कहा कि आरोपों की आशंका को दूर करने के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों की और ज़्यादा जरूरत है और इस संबंध में, जो कदम उठा रहे हैं उससे कहीं ज़्यादा की।
जेल अधीक्षक को यह भी सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है कि वर्तमान आरोपियों के लिए सभी सुरक्षा के उपाय किए जाएं, ताकि अन्य महिला कैदियों द्वारा धमकी, उत्पीड़न और शारीरिक नुकसान के आरोपों को ध्यान में रखा जा सके।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एएसजे रावत ने कहा,
"वह (जहां) एकदम डर की स्थिति में लग रही हैं। कृपया उससे तुरंत बात करें और स्थिति को समझें। उसकी आशंका और डर को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट दर्ज करें। सभी आवश्यक कदम तत्काल उठाएं। मैं 'यह नहीं सुनना चाहता कि आरोपी को अन्य कैदियों या किसी और ने परेशान किया था, क्योंकि उसने शिकायत की थी। मैं यह भी नहीं सुनना चाहता कि वर्तमान आरोपी को किसी भी तरह से नुकसान पहुँचाया गया है।'
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा इस मामले में तिहाड़ जेल में कैदियों को पीटे जाने के आरोपों की जाँच करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति जे. आर. मिड्ढा और न्यायमूर्ति ए. जे. भंभानी की खंडपीठ ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (मुख्यालय) को निर्देश दिया कि अपीलार्थी द्वारा की गई शिकायत (मोहम्मद सुमेर) द्वारा की गई सारांश जाँच के लिए एक मजिस्ट्रेट को नामित करें।
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