दिल्ली दंगा: कोर्ट ने पुलिस के ढीले रवैये के कारण 18 महीने से लंबित मामले पर नाखुशी जताई

LiveLaw News Network

22 Dec 2021 8:26 AM GMT

  • दिल्ली दंगा: कोर्ट ने पुलिस के ढीले रवैये के कारण 18 महीने से लंबित मामले पर नाखुशी जताई

    दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल जून से उत्तर पूर्वी दिल्ली के दंगों से संबंधित एक मामले के लंबित रहने पर नाखुशी व्यक्त की। कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की कि वह अपराध शाखा पुलिस के "ढीले रवैये" और अधिकारियों और राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले एसपीपी की गैर उपस्थिति के कारण संबंधित सत्र न्यायालय को मामला देने में सक्षम नहीं है।

    मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग दंगों के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या और एक डीसीपी के सिर में चोट लगने के संबंध में दर्ज एफआईआर नंबर 60/2020 पीएस दयालपुर से सुनवाई कर रहे थे।

    अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान दिया कि जांच अधिकारी द्वारा एक नवंबर, 2021 के अपने आदेश के संदर्भ में आरोपी अतहर खान को मामले की प्रति नहीं दी गई। अदालत ने यह भी कहा कि न तो जांच अधिकारी और न ही संबंधित एसपीपी अदालत में पेश हुए।

    कोर्ट ने कहा,

    "फाइल के अवलोकन से पता चलता है कि वर्तमान मामला 22.06.2020 से इस अदालत के समक्ष लंबित है और अदालत पीएस क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारियों के ढुलमुल रवैये के कारण और पेश न होने के कारण सत्र न्यायालय को भेजने में में सक्षम नहीं है।"

    कोर्ट ने जांज अधिकारी (आईओ) को सह-आरोपी शादाब खान को मामले की प्रति देने का भी निर्देश दिया।

    अदालत ने आईओ और डीसीपी (अपराध शाखा) से अपने विशेष पुलिस आयुक्त के हस्ताक्षर से स्पष्टीकरण मांगा कि अदालत के निर्देशों का पालन न करने पर उनके खिलाफ कानून के अनुसार उचित कार्रवाई क्यों न की जाए।

    न्यायाधीश ने कहा,

    "विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध शाखा) को निर्देश दिया जाता है कि आरोपी शादाब अहमद और अतहर खान को उनके संबंधित आवेदन के अनुसार उनको मामले की प्रति उपलब्ध कराई जाए। इस मामले में सीआरपीसी की धारा 207 के तहत सात दिनों की अवधि के भीतर और अपने हस्ताक्षर की गई अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करे।"

    अब इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी, 2022 को होगी।

    एफआईआर नंबर 60/2020 (P.S. दयालपुर) के बारे में

    एक कांस्टेबल के बयान पर एफआईआर नंबर 60/2020 दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया कि पिछले साल 24 फरवरी को वह चांद बाग इलाके में अन्य स्टाफ सदस्यों के साथ कानून व्यवस्था की ड्यूटी पर था।

    बताया गया कि दोपहर एक बजे के करीब प्रदर्शनकारी डंडा, लाठी, बेसबॉल बैट, लोहे की छड़ और पत्थर लेकर मुख्य वजीराबाद रोड पर जमा होने लगे। उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों पर ध्यान नहीं दिया। वे हिंसक हो गए।

    आगे कहा गया कि प्रदर्शनकारियों को बार-बार चेतावनी देने के बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल और गैस के गोले दागे गए। कांस्टेबल के मुताबिक, हिंसक प्रदर्शनकारियों ने लोगों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों को भी पीटना शुरू कर दिया। इस मारपीट में उसकी खुद की दाहिनी कोहनी और हाथ में चोट लगी।

    कांस्टेबल ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों ने डीसीपी शाहदरा, एसीपी गोकुलपुरी और हेड कांस्टेबल रतन लाल पर हमला किया। वे सड़क पर गिर गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायल व्यक्तियों को अस्पताल ले जाया गया। वहां पाया गया कि एचसी रतन लाल की पहले ही चोटों के कारण मृत्यु हो चुकी है और डीसीपी शाहदरा बेहोश थे। उन्हें सिर में चोटें आई थीं।

    केस शीर्षक: राज्य बनाम मोहम्मद सलीम खान और अन्य

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