दिल्ली दंगा: अदालत ने यूएपीए केस में अंतरिम जमानत मांगने वाली उमर खालिद की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
Sharafat
7 Dec 2022 4:45 PM IST
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को स्टूडेंट एक्टिविस्ट उमर खालिद के 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले में दो सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत के लिए दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। खालिद ने अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत मांगी है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत सोमवार को फैसला सुनाएगी।
सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पाइस ने खालिद का प्रतिनिधित्व किया जबकि विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद दिल्ली पुलिस के लिए पेश हुए।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा जांच की जा रही एफआईआर 59/2020 में आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत विभिन्न आरोप लगाए गए हैं।
खालिद के आवेदन का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि वह अपनी रिहाई के दौरान "सोशल मीडिया के इस्तेमाल से गलत सूचना फैला सकता है" और इससे "समाज में अशांति पैदा करने की भी संभावना है।"
दिल्ली पुलिस ने कहा कि खालिद के माता-पिता सभी आवश्यक व्यवस्था करने में सक्षम हैं, क्योंकि उसकी माता एक बुटीक चला रही हैं और पिता एक राजनीतिक दल का नेतृत्व कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस ने कहा:
"आवेदक की रिहाई का और विरोध किया जाता है क्योंकि उसकी अंतरिम जमानत अवधि के दौरान सोशल मीडिया के उपयोग से गलत सूचना फैलाने की बहुत संभावना है जिसे रोका नहीं जा सकता और इससे समाज में अशांति पैदा होने की संभावना है। वह गवाहों को भी प्रभावित कर सकता है।"
खालिद सितंबर 2020 से हिरासत में है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की विशेष पीठ ने 18 अक्टूबर को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
हाईकोर्ट ने खालिद को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि 2020 के विरोध प्रदर्शनों के पीछे की साजिश की शुरुआत से लेकर दंगों की परिणति तक खालिद के नाम का बार-बार चार्जशीट में उल्लेख किया गया है।
अदालत ने यह भी कहा कि खालिद डीपीएसजी और जेएनयू के मुस्लिम छात्रों जैसे व्हाट्सएप समूहों का सदस्य था और उसने विभिन्न बैठकों में भी भाग लिया था, जिसमें दंगे करने की कथित साजिश रची गई थी।