दिल्ली दंगे: अदालत ने न्यायिक आदेशों के बावजूद हथकड़ी में पेश करने के खिलाफ उमर खालिद की याचिका पर जेल, डीजीपी को नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
18 Feb 2022 2:00 PM IST
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली दंगों के बड़े षड्यंत्र के मामले में आरोपी उमर खालिद की याचिका पर डीजीपी, जेल को नोटिस जारी किया। इसमें न्यायिक आदेशों के बावजूद जेल अधिकारियों द्वारा हथकड़ी में उनकी अवैध पेशी की विभागीय जांच की मांग की गई।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने आदेश दिया,
"इस बात को दोहराने की आवश्यकता नहीं है कि एक अंडर-ट्रायल कैदी पूरी कार्यवाही के दौरान अदालत की हिरासत में रहता है। उसे बेड़ियों/हथकड़ी लगाने जैसा कोई भी कदम तभी लिया जा सकता है जब न्यायालय अनुरोध या आवेदन पर अनुमति देता है। इस अदालत ने इस आरोपी या इस मामले के किसी भी आरोपी के लिए ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया।"
न्यायाधीश ने कहा,
"इस अदालत को यह बताने के लिए कि क्या उनकी ओर से ऐसा कोई आदेश पारित किया गया है, डीजी (कारागार) को भी नोटिस जारी किया जाए।"
कोर्ट ने पूछा,
"उपरोक्त परिस्थितियों और मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए यह न्यायालय योग्य पुलिस आयुक्त, दिल्ली के ध्यान में उक्त चूक लाने के लिए उपयुक्त समझता है, जो किसी भी जिम्मेदार के माध्यम से जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज कर सकता है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा क्या आरोपी उमर खालिद को हथकड़ी में लाया गया और यदि हां, तो यह किस आधार पर/आदेश दिया गया।
कोर्ट ने 17 जनवरी, 2022 को पटियाला हाउस कोर्ट के सीएमएम द्वारा पारित एक हालिया आदेश पर ध्यान दिया। इसमें कोर्ट ने जेल अधिकारियों को हथकड़ी या बेड़ियों का उपयोग किए बिना नियमित तरीके से उमर खालिद को पेश करने का निर्देश दिया था।
न्यायाधीश ने पिछले साल अप्रैल में कड़कड़डूमा कोर्ट के एक सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित एक अन्य आदेश का भी उल्लेख किया। इसमें "उच्च जोखिम वाले कैदी" होने के आधार पर दोनों हाथों में हथकड़ी लगाकर उमर खालिद को पेश करने के लिए जेल अधिकारियों की याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने पाया कि वह न तो पूर्व दोषी है और न ही गैंगस्टर। इस पर यह आवेदन "दिल्ली पुलिस और जेल प्राधिकरण के उच्च पदस्थ द्वारा दिमाग के आवेदन के बिना" दायर किया गया।
उमर खालिद द्वारा दायर आवेदन में कहा गया कि अदालत में पेश किए जाने के बाद उसके वकील ने उस पर आपत्ति जताई। कोर्ट को बताया गया कि खालिद को सात अप्रैल, 2021 को पटियाला हाउस जिले के सीएमएम के आदेश के आधार पर हथकड़ी में पेश किया जा रहा है।
खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने कहा कि अदालत से कोई आदेश नहीं होने के बावजूद पुलिस अधिकारियों ने उमर खालिद को हथकड़ी लगाकर अदालत में पेश किया। इस मामले में वास्तव में दो अलग-अलग अदालतों द्वारा दो विपरीत आदेश पारित किए गए थे।
उन्होंने कहा कि यह आरोपी के अधिकारों का उल्लंघन है और दोषी पुलिस अधिकारियों की गलती खोजने के लिए जांच की जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा,
"आदेश-पत्र पर गौर करते हुए यह देखा गया कि चार आरोपी व्यक्तियों शरजील इमाम, शफीउर्रहमान, तसलीम अहमद और मीरान हैदर को न्यायिक हिरासत से पेश नहीं किया गया, लेकिन उनके लिए पेशी वारंट जारी नहीं किया गया। अगली तारीख के लिए पेशी वारंट जारी किया जाए। प्रतिवादी उक्त चूक को भी स्पष्ट करें।"
खालिद के खिलाफ दर्ज एफआईआर में यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, आर्म्स एक्ट की धारा 25 और 27 और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा तीन और चार सहित कड़े आरोप शामिल हैं। उन पर भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) के तहत उल्लिखित विभिन्न अपराधों का भी आरोप है।
सितंबर, 2020 में पिंजरा तोड के सदस्यों और जेएनयू के छात्रों देवांगना कलिता और नताशा नरवाल, जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा और छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा के खिलाफ मुख्य आरोप पत्र दायर किया गया।
आरोप पत्र में कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, मीरान हैदर और शफीउर्रहमान, निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन, एक्टिविस्ट खालिद सैफी, शादाब अहमद, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान शामिल हैं।
इसके बाद, नवंबर में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद और जेएनयू के छात्र शारजील इमाम के खिलाफ फरवरी में पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा में कथित बड़ी साजिश से जुड़े एक मामले में पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था।
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