दिल्ली हाईकोर्ट ने आईडी प्रूफ के बिना 2000 रुपए के नोट बदलने की अनुमति देने वाली जनहित याचिका खारिज की

Sharafat

29 May 2023 5:29 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने आईडी प्रूफ के बिना 2000 रुपए के नोट बदलने की अनुमति देने वाली जनहित याचिका खारिज की

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय स्टेट बैंक की उन अधिसूचनाओं को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिनमें 2000 रुपये के करंसी नोट के

    बिना किसी पहचान प्रमाण के विनिमय की अनुमति दी गई।

    मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।

    पिछले सप्ताह सुनवाई के दौरान आरबीआई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पराग पी त्रिपाठी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि इसे जुर्माना लगाकर खारिज किया जाना चाहिए।

    भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा याचिका दायर की गई थी जिसमें अधिसूचनाओं को मनमाना और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ घोषित करने की मांग की गई थी।

    आरबीआई की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पराग पी त्रिपाठी ने याचिका का विरोध ने कहा, 'यह नोटबंदी नहीं है..यह एक वैधानिक कवायद है। मेरे विद्वान मित्र [उपाध्याय] द्वारा उठाया गया कोई भी बिंदु किसी भी तरह से सार्वजनिक मुद्दों पर लागू नहीं होता है।

    त्रिपाठी ने आगे सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों का उल्लेख किया जिसमें यह कहा गया है कि अदालतों को आर्थिक नीति से संबंधित मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए राजी नहीं किया जाएगा।

    आरके गर्ग बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और स्मॉल स्केल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामलों का हवाला दिया गया।

    याचिका में प्रतिवादी आरबीआई, एसबीआई और केंद्रीय गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय हैं। एएसजी चेतन शर्मा ने भारत संघ का प्रतिनिधित्व किया। उपाध्याय ने यह भी प्रार्थना की कि आरबीआई और एसबीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाए कि 2000 रुपए के नोट संबंधित बैंक खातों में ही जमा किए जाएं जिससे कोई अन्य खातों में पैसा जमा न कर सके और काला धन और आय से अधिक संपत्ति रखने वालों की आसानी से पहचान हो सके।

    उन्होंने "भ्रष्टाचार, बेनामी लेनदेन को खत्म करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को सुरक्षित करने" के लिए काले धन और आय से अधिक संपत्ति धारकों के खिलाफ उचित कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की है।

    याचिका में कहा गया था,

    “हाल ही में, केंद्र द्वारा यह घोषणा की गई थी कि हर परिवार के पास आधार कार्ड और बैंक खाता है, इसलिए, आरबीआई पहचान प्रमाण प्राप्त किए बिना 2000 के नोट का आदान-प्रदान करने की अनुमति क्यों दे रहा है। यहां यह बताना भी जरूरी है कि 80 करोड़ बीपीएल परिवारों को मुफ्त अनाज मिलता है।

    इसका मतलब है कि 80 करोड़ भारतीय शायद ही कभी 2,000/- रुपये के नोट का उपयोग करते हैं। इसलिए, याचिकाकर्ता आरबीआई और एसबीआई को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के निर्देश देने की मांग करता है कि 2000 रुपए के बैंकनोट केवल बैंक खाते में जमा किए जाएं।"

    हाल ही में आरबीआई ने 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने घोषणा की। हालांकि, यह कहा गया कि मुद्रा लीगल टेंडर के रूप में जारी रहेगी। आरबीआई ने कहा कि लोग अपने बैंक खातों में ₹2000 के नोट जमा कर सकते हैं और/या किसी भी बैंक शाखा में अन्य मूल्यवर्ग के नोटों में उन्हें बदल सकते हैं।


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