दिल्ली हाईकोर्ट ने आयुर्वेद पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

11 Jan 2022 10:27 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने आयुर्वेद पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी मेडिकल कोर्सेस में एडमिशन के लिए सामान्य राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) को अनिवार्य बनाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।

    चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कुछ आयुष उम्मीदवारों द्वारा दायर याचिका पर भारत संघ, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए।

    इस मामले की सुनवाई कुछ एलोपैथिक चिकित्सकों द्वारा दायर एक अन्य याचिका के साथ की जाएगी। इसमें आयुष चिकित्सकों को मेडिकल सर्जरी करने की अनुमति को चुनौती दी गई।

    पीठ ने हल्के-फुल्के अंदाज में टिप्पणी की,

    "बस दोहरे मापदंड देखें। जब वे ऑपरेशन करने की अनुमति चाहते हैं तो वे दावा करते हैं कि 'हम एमबीबीएस की तरह हैं।' लेकिन जब उन्हें एनईईटी में उपस्थित होने के लिए कहा जाता है तो वे कहते हैं कि नहीं ... इन दोनों मामलों को एक साथ सुना जाना चाहिए। हम ये विरोधाभासी तर्क सुनना चाहते हैं।"

    अधिवक्ता अनिमेष कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया कि नीट परीक्षा केवल उन मेडिकल इंस्टीट्यूट पर लागू होती है जो मॉर्डन साइंटिफिक मेडिसीन में डिग्री, डिप्लोमा या लाइसेंस प्रदान करते हैं। यह कहा गया कि ये मेडिकल इंस्टीट्यूट आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध या होम्योपैथी दवाओं में डिग्री, डिप्लोमा या लाइसेंस देने वालों से अलग हैं।

    वकील ने तर्क दिया कि नीट का दायरा "मॉर्डन साइंटिफिक मेडिसीन" तक सीमित है। इसमें "मेडिकल की पारंपरिक प्रणाली" शामिल नहीं है।

    आगे यह तर्क दिया गया कि प्रतिवादियों ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम और आयुष पाठ्यक्रम के बीच मूलभूत अंतर को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। एक सामान्य नीट परीक्षा अधिसूचित की है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन है।

    केस का शीर्षक: प्रियांशु उंडविया और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

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