मानहानि मामले में हाईकोर्ट की नसीहत: साकेत गोखले और लक्ष्मी पुरी आपस में सुलझाएं विवाद, अदालतों पर पहले से ही मुकदमों का बोझ'
Amir Ahmad
24 July 2025 4:06 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद साकेत गोखले से संयुक्त राष्ट्र में भारत की पूर्व सहायक महासचिव लक्ष्मी पुरी द्वारा दायर मानहानि के मामले का निपटारा करने को कहा और कहा कि अदालतें पहले से ही अति व्यस्त हैं।
जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने कहा कि दोनों पक्ष मामले को सुलझाने के लिए बैठक कर सकते हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि गोखले ने माफी मांगी थी, जिसे पुरी ने स्वीकार कर लिया था।
न्यायालय ने कहा,
"आप सार्वजनिक जीवन में हैं सम्मानित सार्वजनिक हस्तियां। अगर दोनों पक्ष समझ सकें तो साथ बैठकर विवाद सुलझाने की कोशिश करें कृपया ध्यान रखें कि अदालतें पहले से ही अति व्यस्त हैं।"
सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह पुरी की ओर से पेश हुए। सीनियर एडवोकेटअमित सिब्बल ने गोखले का प्रतिनिधित्व किया।
सिंह और सिब्बल दोनों ने अदालत को बताया कि वे अपने-अपने मुवक्किलों से बात करेंगे और मामले को सुलझाने के लिए अदालत के प्रस्ताव पर विचार करेंगे।
पुरी ने गोखले के उन ट्वीट्स पर आपत्ति जताई, जिनमें उनके और उनके पति, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी की संपत्ति के बारे में सवाल उठाए गए, जो उन्होंने स्विट्जरलैंड में खरीदी गई एक संपत्ति को लेकर किया। उन्होंने तर्क दिया कि ट्वीट झूठे और मानहानिकारक थे।
जुलाई, 2021 में एकल जज ने अंतरिम आदेश के माध्यम से गोखले को ट्वीट हटाने का निर्देश दिया। उन्हें पुरी के खिलाफ कोई और मानहानिकारक सामग्री पोस्ट करने से भी रोक दिया गया।
पिछले साल जस्टिस अनूप जयराम भंभानी द्वारा उनके पक्ष में मानहानि के मुकदमे का फैसला सुनाते हुए अंतरिम आदेश की पुष्टि की गई।
एकल जज ने गोखले को टाइम्स ऑफ इंडिया और अपने ट्विटर हैंडल पर निर्धारित माफीनामा प्रकाशित करने का निर्देश दिया। उन्हें पुरी को 50 लाख रुपये का हर्जाना देने का भी निर्देश दिया गया।
अपनी अपील में गोखले ने एकल जज के फैसले को वापस लेने की उनकी याचिका को खारिज करने वाले फैसले को भी चुनौती दी है।
इस बीच पुरी ने अपने पक्ष में फैसले के क्रियान्वयन की मांग की। एकल जज ने इस मामले में गोखले को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनसे पूछा कि माफ़ीनामा प्रकाशित न करने के कारण उन्हें सिविल हिरासत में क्यों न भेजा जाए। यह मामला सितंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
केस टाइटल: साकेत गोखले बनाम लक्ष्मी पुरी

