दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज की, कदाचार के आरोपों को 'बेहद गंभीर' बताया
Sharafat
30 May 2023 11:18 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सीबीआई मामले में आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसमें 2021-22 के लिए आबकारी नीति के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था।
जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने आदेश सुनाया। कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जस्टिस शर्मा ने कहा,
"आरोप प्रकृति में बहुत गंभीर हैं कि आबकारी नीति साउथ ग्रुप के इशारे पर उन्हें अनुचित लाभ देने के इरादे से बनाई गई थी। इस तरह का आचरण आवेदक के कदाचार की ओर इशारा करता है जो कि एक लोक सेवक थे और उनके पास था एक बहुत ही उच्च पद था।"
अदालत ने कहा कि सिसोदिया एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और 18 विभागों के साथ डिप्टी सीएम का पद संभाल चुके हैं और गवाह ज्यादातर लोक सेवक हैं, गवाहों के प्रभावित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सिसोदिया फिलहाल सीबीआई और ईडी द्वारा दर्ज मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं। उन्हें 31 मार्च को सीबीआई मामले में विशेष न्यायाधीश द्वारा जमानत से वंचित कर दिया गया था। उन्हें 28 अप्रैल को ईडी मामले में भी ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। ईडी मामले में उनकी जमानत याचिका हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।
सीबीआई मामले में नियमित जमानत की मांग करते हुए सिसोदिया ने तर्क दिया था कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा कथित आबकारी नीति घोटाला मामले में उनके पास से धन के लेन-देन का कोई सबूत नहीं मिला है और उनके खिलाफ आरोप "संभावना के दायरे में हैं।"
सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए जांच एजेंसी ने कहा कि इस मामले में एक "गहरी जड़ और बहुस्तरीय साजिश" शामिल है, जिसमें सिसोदिया, जो जांच के दौरान कथित रूप से असहयोगी और टालमटोल करते रहे।
सीबीआई ने कहा कि सिसोदिया को कार्यपालिका और नौकरशाहों के साथ घनिष्ठ सांठगांठ हैऔर उच्च पद पर आसीन आप नेता के पार्टी सहयोगी "तथ्यात्मक रूप से गलत दावे करना जारी रखे हुए हैं। वे अपने दावे में कह रहे हैं कि कि सिसोदिया एक राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार हैं और जांच को प्रभावित कर रहे हैं।
सीबीआई ने आठ घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद आप नेता को 26 फरवरी को गिरफ्तार किया था। एफआईआर में उन्हें आरोपी बनाया गया था। जांच एजेंसी का मामला है कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति बनाने और लागू करने में कथित अनियमितताएं हुई हैं।
सीबीआई ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उन्होंने टालमटोल भरे जवाब दिए और सबूतों के सामने आने के बावजूद जांच में सहयोग नहीं किया।
सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि सिसोदिया और अन्य आबकारी नीति 2021-22 के संबंध में "अनुशंसा करने और निर्णय लेने" में "सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना लाइसेंसधारी पोस्ट टेंडर को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से" महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
दूसरी ओर, ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी। इसने कहा है कि मंत्री समूह (जीओएम) की बैठकों के मिनिट्स ऑफ मिटिंग्स में इस तरह की शर्त का उल्लेख नहीं किया गया।
एजेंसी ने यह भी दावा किया है कि एक साजिश थी जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। एजेंसी के मुताबिक, नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से काम कर रहे थे।