दिल्ली हाईकोर्ट ने चोरी के आरोप में बर्खास्त किए गए सब इंस्पेक्टर की सेवा बहाल की

Brij Nandan

15 April 2023 2:27 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने चोरी के आरोप में बर्खास्त किए गए सब इंस्पेक्टर की सेवा बहाल की

    Delhi High Court

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में चोरी और ड्यूटी में लापरवाही से जुड़ा एक केस आया। सब इंस्पेक्टर पर आरोप लगा था कि उसने ड्यूटी के दौरान लापरवाही और चोरी की थी। इसके चलते उसे ‘सेवा से हटाने’ का निर्देश दिया गया था।

    इसके खिलाफ सब इंस्पेक्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट का रूख किया था। मामले की सुनवाई जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस नीना बंसल कृष्ण की डिवीजन बेंच कर रही थी।

    याचिका में मांग की गई थी कि प्रतिवादी के उस आदेश को रद्द किया जाए जिसमें उसे ‘सेवा से हटाने’ का निर्देश दिया गया था। साथ ही आदेश जारी कर सभी लाभों के साथ सेवा बहाल की जाए।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि वो सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत था और सीआईएसएफ यूनिट एएसजी गोवा हवाई अड्डे पर उसकी ड्यूटी थी। प्रतिवादियों द्वारा उसे मंगूर हिल्स बैरक में एक आधिकारिक क्वार्टर आवंटित किया गया था। उस क्वार्टर में घरेलू उपयोग के लिए कोई फिक्स्चर नहीं था। इसलिए, याचिकाकर्ता ने मो. शाकिर (सुपरवाइजर) से अनुरोध किया कि किसी को उसके क्वार्टर में फिक्सिंग करवाने के लिए भेजा जाए। शाकिर जिस कंपनी में सुपरवाइजर था उस कंपनी की सेवाएं भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा किराए पर ली गई थीं।

    शाकिर ने कहा कि कोई अतिरिक्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं है। इसलिए याचिकाकर्ता बेसमेंट में देख सकता है अगर कोई अतिरिक्त ड्रिलिंग मशीन उपलब्ध है, तो वो उसे फिक्स्चर ठीक करने के लिए ले जा सकता है और अपना काम पूरा करके वापस कर जाए।

    याचिकाकर्ता मो. शाकिर से अनुमति लेकर बेसमेंट से एक ड्रिलिंग मशीन ले गया और उसने कहा कि रात में काम करके सुबह लौटा देगा।

    याचिकाकर्ता को वेस्टर्न फिंगर स्टाफ गेट पर नाइट ड्यूटी शिफ्ट में तैनात किया गया था। लगभग रात के 12: 30 बजे याचिकाकर्ता ने कंट्रोल रूम इंचार्ज से एक रिलीवर के लिए अनुमति मांगी, जिसे मंजूर कर लिया गया और रिलीवर के आने के बाद याचिकाकर्ता अपनी ड्यूटी पोस्ट छोड़कर बेसमेंट में चला गया। उन्होंने अपने बैग में रखी ड्रिलिंग मशीन को उठाया और हवाई अड्डे से निकलने से पहले बैग को लेने के इरादे से महिला तलाशी बूथ के पास छोड़ गया। इसके बाद, याचिकाकर्ता अपने ड्यूटी पोस्ट पर वापस आ गया।

    याचिकाकर्ता के सामान की जांच की गई और उस पर ड्रिलिंग मशीन चोरी करने का आरोप लगा। याचिकाकर्ता को एक ज्ञापन दिया गया, जिसमें उस पर कदाचार और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था।

    आरोप में कहा गया कि वो जानबूझकर बेसमेंट में ड्रिलिंग मशीन को एक बैग में रख कर ले गया। वो हवाई अड्डे के परिसर से बाहर ले जाना चाहता था। चोरी करना चाहता था। अपने सीनियर अधिकारी को बिना बताए अपनी ड्यूटी पोस्ट छोड़कर बेसमेंट में चला गया था। लापरवाही का मामला है।

    याचिकाकर्ता ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज किया और कहा कि मोहम्मद शाकिर की अनुमति लेने के बाद ड्रिलिंग मशीन अपने साथ ले गया था। रिलीवर के आने के कंट्रोल रूम इंचार्ज से अनुमति लेने के बाद ही अपनी ड्यूटी पोस्ट से गया था।

    आरोपों की जांच के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया गया था। प्रेजेंटिंग ऑफिसर ने याचिकाकर्ता को कदाचार का दोषी ठहराया और एक संक्षिप्त नोट जांच अधिकारी को दिया। प्रतिवादियों ने याचिकाकर्ता पर लगाए गए आरोपों के संबंध में कदाचार का दोषी ठहराया और तत्काल प्रभाव से 'सेवा से हटाने' का निर्देश दिया।

    इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने अपील दायर की। हालांकि अपील स्वीकार नहीं की गई। इसके बाद याचिकाकर्ता ने महानिदेशक, सीआईएसएफ के समक्ष एक अपील दायर की, जो कि अभी भी विचाराधीन है।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से सुपरवाइजर शाकिर ने गवाही दी है। शाकिर के बयान के मुताबिक याचिकाकर्ता ने ड्रिलिंग मशीन लेने की अनुमति दी थी। इसलिए चोरी का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। साथ ही याचिकाकर्ता ने कंट्रोल रूम इंचार्ज से रिलीवर की मांग की थी, जिसे मंजूर कर लिया गया और रिलीवर के आने के बाद ही याचिकाकर्ता ने ड्यूटी पोस्ट छोड़ा था।

    प्रतिवादियों की ओर से वकीलों ने कहा कि याचिकाकर्ता पर लगाए गए आरोपों को उसने आंशिक रूप से स्वीकार किया है। गवाहों के बयान और सबूत के आधार पर उसे कदाचार का दोषी ठहराया गया था। सीनियर अधिकारी से अनुमति लिए बिना ड्यूटी पोस्ट छोड़ने के कारण सेवा से हटाने का आदेश दिया गया।

    आगे कहा कि सुपरवाइजर मो. शाकिर केवल एक कर्मचारी है। उसके सीमित अधिकार हैं। वो ड्रिलिंग मशीन का कानूनी मालिक नहीं है। इसलिए वह याचिकाकर्ता को इसे ले जाने की अनुमति नहीं दे सकता था।

    कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। और कहा कि इस तथ्य पर ध्यान देना जरूरी है कि सुपरवाइजर की अनुमति लेने के बाद ही याचिकाकर्ता ड्रिलिंग मशीन ले गया था। इसलिए, याचिकाकर्ता पर आईपीसी की धारा 378 के तहत ‘चोरी’ करने का आरोप नहीं लगाया जा सकता है।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पर एक और आरोप है कि वो सीनियर अधिकारी से अनुमति लिए बिना ड्यूटी पोस्ट छोड़कर चला गया था। जबकि याचिकाकर्ता के मुताबिक रिलीवर के आने के बाद ही वह पोस्ट छोड़ा था। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि ड्यूटी में कोई लापरवाही हुई थी। लापरवही साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है।

    इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सेवा से हटाने के आदेश को रद्द कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता को बकाया, पदोन्नति और वरिष्ठता आदि जैसे लाभों के साथ तत्काल सेवा में बहाल किया जाए।

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