'पॉलिसी मैटर': दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID-19 की बूस्टर डोज अंतराल को कम करने के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

LiveLaw News Network

4 Feb 2022 9:02 AM GMT

  • पॉलिसी मैटर: दिल्ली हाईकोर्ट ने COVID-19 की बूस्टर डोज अंतराल को कम करने के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट शुक्रवार को फ्रंट लाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों को COVID-19 वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाने के लिए समय अंतराल को कम करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया।

    चीफ जस्टिस पटेल और जस्टिस ज्योति सिंह की खंडपीठ ने कहा कि यह एक प्रशासनिक निर्णय है और अदालत याचिकाकर्ताओं की इच्छा के आधार पर नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

    पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

    "ये नीतियां डॉक्टरों द्वारा बनाई गई हैं जो विषय-विशेषज्ञ हैं और हाईकोर्ट ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने में बेहद धीमे होंगे।"

    इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता आदित्य लारोइया के वकील ने तर्क दिया कि 39 सप्ताह (9 महीने) के व्यापक अंतराल के बाद फ्रंटलाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों को बूस्टर शॉट मिल रहे हैं। उन्होंने अन्य देशों के एसओपी का उल्लेख किया, जहां 39 दिनों से अधिक समय में फ्रंटलाइन वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बूस्टर शॉट्स के प्रशासन के लिए प्रोटोकॉल नहीं है। लारोइया ने प्रस्तुत किया कि पड़ोसी देश श्रीलंका में वैक्सीन का अंतराल दूसरी जब के बाद तीन महीने का है।

    याचिकाकर्ता ने भारत में 39 सप्ताह के इतने बड़े अंतराल के पीछे के कारण का खुलासा करने के लिए परिवार और स्वास्थ्य मंत्रालय को भी पक्षकार बनाने की मांग की।

    बेंच ने याचिकाकर्ता से उस कानूनी विशिष्ट प्रावधानों या सर्कुलर के बारे में पूछताछ की जिसके आधार पर यह वैक्सीन टाइमलाइन और नीति स्थापित की गई। इसमें कहा गया कि रिटों पर कानून के आधार पर और विशिष्ट प्रावधानों आदि पर बहस होनी चाहिए।

    पीठ ने कहा कि आम लोगों के लिए विदेश नीतियों पर चर्चा करना अच्छा है, लेकिन वे अखबारों के लेखों के आधार पर रिट दाखिल नहीं कर सकते हैं और न ही करना चाहिए।

    पीठ ने कहा,

    "बिना होमवर्क के रिट दायर नहीं की जा सकती, खासकर एक जनहित याचिका में।"

    केस शीर्षक: दिशांक धवन बनाम जीएनसीटीडी, डब्ल्यूपी (सी) 5239/2021

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 82

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