आदिपुरुष फिल्म से 'आपत्तिजनक दृश्य' हटाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार किया

Brij Nandan

21 Jun 2023 6:18 AM GMT

  • आदिपुरुष फिल्म से आपत्तिजनक दृश्य हटाने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई से इनकार किया

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) से कथित आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार किया। फिल्म के खिलाफ याचिका को अस्थायी रूप से 30 जून को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने मेंशन करते हुए कहा कि फिल्म "विवादास्पद" आदिपुरुष फिल्म के खिलाफ है और इसे 30 जून को सूचीबद्ध किया गया है। फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई की तारीख की मांग करते हुए वकील ने कहा कि फिल्म रिलीज हो चुकी है।

    जस्टिस तारा वितस्ता गंजू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा,

    "फिर आप क्या रोक रहे हैं। अगर यह पहले ही रिलीज हो चुकी है।"

    वकील ने कहा कि फिल्म में कई "विवादास्पद हिस्से" हैं।

    जस्टिस गंजू ने कहा कि रिलीज की तारीखें पहले से ही अच्छी तरह से पता थी।। ऐसा नहीं है कि आज इसकी घोषणा की गई है। आप पहले क्यों नहीं आए।

    वकील ने कहा कि निर्देशक और निर्माता ने ट्रेलर और टीज़र रिलीज़ होने पर दृश्यों को हटाने का "वादा" किया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

    आगे कहा कि फिल्म अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर रही है क्योंकि नेपाल ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

    जस्टिस गंजू ने कहा कि अदालत तात्कालिकता के बारे में आश्वस्त नहीं थी और सुनवाई को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। “30 जून? कृपया उस तारीख को वापस आएं।

    याचिका में तर्क दिया गया है कि हिंदुओं का भगवान राम, सीता और हनुमान की छवि के बारे में एक विशेष दृष्टिकोण है और फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं द्वारा उनकी दिव्य छवि में कोई भी बदलाव या छेड़छाड़ उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।

    यह तर्क दिया गया कि दृश्य धार्मिक चरित्रों को गलत ढंग से पेश किया गया है। और हिंदू सभ्यता और हिंदू धार्मिक हस्तियों के लिए "पूर्ण अपमान" हैं।

    हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि आदिपुरुष फिल्म द्वारा हिंदू धार्मिक शख्सियतों का विकृत सार्वजनिक प्रदर्शन अंतःकरण और अभ्यास की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है, साथ ही अनुच्छेद 26 के तहत धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता का भी उल्लंघन है।



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