दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्धारिती की ओर से दायर जवाब पर विचार किए बिना जारी किए गए पुनर्मूल्यांकन आदेश रद्द किए

Brij Nandan

7 Jun 2022 12:00 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने निर्धारिती द्वारा दायर जवाब पर विचार किए बिना जारी किए गए पुनर्मूल्यांकन आदेश को रद्द कर दिया है।

    याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने कहा कि विभाग द्वारा शुरू की गई पुनर्मूल्यांकन कार्यवाही प्रारंभ से ही शून्य थी। कार्यवाही "डेमियन एस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड" के नाम से शुरू की गई थी, जो एक अस्तित्वहीन इकाई थी क्योंकि इसने 1 अप्रैल, 2016 से याचिकाकर्ता कंपनी के साथ विलय कर दिया था।

    याचिकाकर्ता ने पीआर आयकर आयुक्त बनाम मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया जिसमें यह माना गया था कि एक गैर-मौजूद कंपनी को नोटिस जारी करना एक वास्तविक अवैधता है और प्रक्रियात्मक उल्लंघन नहीं है।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की आय से बचने के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी, जो कि आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत कार्रवाई करने के लिए एक आवश्यक शर्त थी। निर्धारण वर्ष 2018-19 में याचिकाकर्ता की कर योग्य आय की गणना करते समय कारण बताओ नोटिस में उल्लिखित प्रत्येक राशि/लेनदेन का उचित रूप से खुलासा किया गया और कर के लिए पेशकश की गई।

    याचिकाकर्ता द्वारा दायर जवाब पर विचार किए बिना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए आदेश पारित किया गया है।

    विभाग ने प्रस्तुत किया कि आयकर अधिनियम की धारा 148 ए (डी) के तहत आक्षेपित आदेश पारित करते समय याचिकाकर्ता के जवाब पर ध्यान नहीं दिया गया था।

    अदालत ने आकलन अधिकारी को आठ सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता द्वारा दायर जवाब पर विचार करने के बाद कानून के अनुसार एक नया तर्कपूर्ण आदेश पारित करने का निर्देश दिया।

    केस टाइटल: करीदा रियल एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम एसीआईटी

    साइटेशन: डब्ल्यू.पी.(सी) 7074/2022 और सीएम एपीपीएल.21705-21706/2022

    दिनांक: 2.06.2022

    अपीलकर्ता के लिए वकील: एडवोकेट कविता झा

    प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट जोहेब हुसैन

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