दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता की याचिका पर 60 साल पुराने पीपल के पेड़ की जांच का आदेश दिया

LiveLaw News Network

12 Nov 2021 4:57 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता की याचिका पर 60 साल पुराने पीपल के पेड़ की जांच का आदेश दिया

    Delhi High Court

    दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को उप वन संरक्षक को शहर के इंद्रपुरी इलाके में एक 60 साल पुराने पीपल के पेड़ की जांच करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह आदेश यह देखते हुए दिया कि तस्वीरों से पेड़ के गिरने का कोई खतरा नहीं दिखता और न ही कोई झुकाव या शिथिलता देखी जा सकती है।

    न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। याचिका में उनके आवास के पास स्थित पेड़ को काटे जाने का विरोध किया गया। उनका मामला यह है कि संबंधित अधिकारियों द्वारा कथित रूप से शुरू की गई अवैध कार्रवाई किसी भी वैध आदेश द्वारा समर्थित नहीं है।

    उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि वन विभाग के पास एक आवेदन दायर किया गया है। इसमें पेड़ की कटाई के लिए अनुमति मांगी गई है। अनुमति में इस तथ्य का उल्लेख किया गया कि पास के तहखाने की खुदाई के कारण यह खतरनाक हो गया है।

    दूसरी ओर, उप वन संरक्षक की ओर से पेश वकील ने कहा कि अनुमति पेड़ की कटाई के लिए नहीं बल्कि प्रत्यारोपण के उद्देश्य से दी गई है।

    अदालत ने शुरू में कहा,

    "तस्वीरों के अवलोकन से पता चलता है कि प्रत्यारोपण के बजाय उस पेड़ को काटने का प्रयास किया गया जिसके लिए अनुमति नहीं दी गई।"

    अदालत ने कहा,

    "प्रथम दृष्टया तस्वीरों से पता चलता है कि उक्त पेड़ के नीचे गिरने का कोई खतरा नहीं है, क्योंकि तस्वीर में पेड़ का कोई झुकाव नहीं देखा गया है। यह एक स्वीकृत स्थिति है कि पेड़ के साथ की इमारत पहले से ही बनी हुई है। बेसमेंट भी पहले ही खोद लिया गया। प्रथम दृष्टया पेड़ गिरने का कोई खतरा नहीं।"

    इस प्रकार, न्यायालय ने उप वन संरक्षक को पेड़ की जांच करने और रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया कि क्या पेड़ खतरनाक है या नहीं।

    कोर्ट ने कहा,

    "रिपोर्ट दाखिल होने दीजिए। इस बीच अंतरिम आदेश जारी रहेंगे।"

    सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि स्थानीय अधिकारी बिल्डरों के इशारे पर काम कर रहे हैं, इसलिए पेड़ हटाने की अनुमति दी गई।

    अदालत ने कहा,

    "प्रत्यारोपण में आपको जड़ें खोदनी होंगी। आपको सड़क तोड़नी होगी। आप पेड़ को प्रत्यारोपित करने और किसी का घर तोड़ने की अनुमति कैसे दे सकते हैं?"

    इसके बाद मामले की सुनवाई 26 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई।

    न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष इससे पहले पत्र याचिका का उल्लेख किया गया था। उन्होंने कहा था कि अगर याचिका की जांच किए बिना पेड़ को काटने की अनुमति दी गई तो न केवल पर्यावरण को बल्कि इलाके के निवासियों को भी अपूरणीय क्षति होगी।

    अदालत ने तब याचिकाकर्ता को नियमों के अनुसार औपचारिक याचिका दायर करने के लिए नौ नवंबर तक का समय दिया। इसके अनुसार वर्तमान याचिका दायर की गई।

    केस शीर्षक: एन हरिहरन बनाम एमसीडी और अन्य।

    Next Story