न्यूज़लॉन्ड्री और रविश कुमार ने अडानी एंटरप्राइजेज के साथ किया समझौता किया, हाईकोर्ट ने बंद की याचिकाएं

Amir Ahmad

26 Sept 2025 1:55 PM IST

  • न्यूज़लॉन्ड्री और रविश कुमार ने अडानी एंटरप्राइजेज के साथ किया समझौता किया, हाईकोर्ट ने बंद की याचिकाएं

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 सितंबर) को डिजिटल न्यूज प्लेटफ़ॉर्म न्यूज़लॉन्ड्री और पत्रकार रविश कुमार द्वारा दायर दो याचिकाओं को बंद किया। ये याचिकाएं केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के खिलाफ थीं, जिसमें उन्हें अडानी ग्रुप से संबंधित कई रिपोर्ट और वीडियो हटाने को कहा गया। कोर्ट ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि पक्षकारों के बीच एक समझौता हो गया।

    जस्टिस सचिन दत्ता ने अडानी एंटरप्राइजेज द्वारा दोनों याचिकाओं में दायर आवेदन की अनुमति देते हुए याचिकाकर्ताओं को संशोधित पार्टी मेमो दाखिल करने को कहा। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि समझौते के अनुसार, अडानी अपनी याचिका में न्यूज़लॉन्ड्री और रविश कुमार से यह नहीं मांगेगा कि वे 26 सितंबर दोपहर 12 बजे तक अपनी वेबसाइट या किसी अन्य ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से कोई सामग्री हटाएं।

    अडानी एंटरप्राइजेज की ओर से सीनियर एडवोकेट अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि न्यूज़लॉन्ड्री और रविश कुमार अपील दायर करने के बजाय सीनियर सिविल जज के समक्ष ऑर्डर 39 रूल 1 और 2 (CPC) के तहत बहस करेंगे।

    सीनियर एडवोकेट त्रिदीप पेस ने बताया कि पत्रकार परांजॉय गुहा ठाकुरता की लंबित अपील भी कल निपटाई गई, जिसमें डिस्ट्रिक्ट जज ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का एकपक्षीय गैग ऑर्डर सीनियर सिविल जज द्वारा नए आदेश तक लागू नहीं होगा।

    हाईकोर्ट ने कहा,

    “समझौता इस प्रकार है कि याचिकाकर्ताओं को 26 सितंबर दोपहर 12 बजे तक होस्ट की गई किसी भी कंटेंट को हटाने के लिए कहा नहीं जाएगा। यदि याचिकाकर्ताओं ने पहले कोई कंटेंट हटा दी तो उसे पुनः अपलोड नहीं किया जाएगा। यह समझौता केवल तब तक मान्य रहेगा, जब तक कि सिविल सूट में ऑर्डर 39 रूल 1 और 2 के तहत याचिका का निपटान नहीं हो जाता।”

    कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वर्तमान आदेश को किसी भी मामले की मेरिट पर राय या अभिव्यक्ति नहीं माना जाएगा और दोनों याचिकाएं निपटाई गईं। न्यूज़लॉन्ड्री की ओर से सीनियर एडवोकेट सौरभ कृपाल पेश हुए।

    पिछले दिन अडानी एंटरप्राइजेज ने कोर्ट को बताया कि वह न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा प्रकाशित कंपनी संबंधी खबरों के लिए कोई नया हटाने का अनुरोध नहीं करेगा।

    संदर्भ के लिए जिला जज सुनील चौधरी ने कहा कि पत्रकार परांजॉय गुहा ठाकुरता ट्रायल कोर्ट द्वारा जारी एकपक्षीय गैग आदेश के तहत बाध्य नहीं हैं। सीनियर सिविल जज द्वारा नए आदेश तक रिपोर्टिंग जारी रख सकते हैं।

    न्यूज़लॉन्ड्री ने हाईकोर्ट में चुनौती दी कि 16 सितंबर को मंत्रालय द्वारा जारी सूचना उनके और कई अन्य स्वतंत्र पत्रकारों एवं कंटेंट क्रिएटर्स को भेजी गई, जिसमें उन्हें अडानी ग्रुप के खिलाफ अपुष्ट और अपमानजनक कंटेंट हटाने के लिए कहा गया। न्यूज़लॉन्ड्री ने कहा कि वे सिविल सूट में पक्षकार नहीं थे। आदेश में उनके द्वारा प्रकाशित किसी भी कंटेंट का उल्लेख नहीं था।

    रविश कुमार ने भी इसी आदेश को चुनौती दी यह बताते हुए कि यह प्रेस स्वतंत्रता और संवैधानिक दृष्टि से अनुचित है और कार्यपालिका की शक्ति का असामान्य प्रयोग है। याचिका में यह घोषणा मांगी गई कि पत्रकारिता पर पहले से लगी रोक के लिए संविधान की अनुच्छेद 19(2) सुरक्षा का पालन आवश्यक है। इसे केंद्र सरकार द्वारा उल्लंघन किया गया।

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