दिल्ली हाईकोर्ट ने कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा के मार्क्स के कैल्कुलेशन की नीति में संशोधन करने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया
LiveLaw News Network
2 Jun 2021 4:10 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को 1 मई 2021 को स्कूल द्वारा आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा 2021 के अंकों की गणना की नीति में संशोधन की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
एनजीओ जस्टिस फॉर ऑल द्वारा दायर याचिका और अधिवक्ता खगेश बी झा और अधिवक्ता शिखा शर्मा बग्गा के माध्यम से दायर की गई याचिका में सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों को रिजल्ट की गणना करने से पहले दसवीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए तर्क दस्तावेज को उनकी संबंधित वेबसाइटों पर प्रकाशित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है और इसे सीबीएसई पोर्टल पर अपलोड करके पारदर्शिता लाने के लिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि छात्र इसे एक्सेस कर सकें और समय पर बोर्ड के साथ अपनी शिकायतें उठा सकें।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया और एमएचआरडी के माध्यम से सीबीएसई, दिल्ली सरकार और भारत सरकार से जवाब मांगा है।
याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए), 21 और 21ए के प्रावधानों के तहत वर्ष 2020-21 में कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले छात्रों के मौलिक अधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहा है। स्कूल द्वारा आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा 2021 के अंकों की गणना की नीति में संशोधन की मांग करते हैं।
याचिका में अंकों के गणना के तरीके पर सवाल उठाते हुए कहा गया है कि,
" स्कूल के पिछले साल के सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन के आधार पर स्कूल के औसत अंकों के आधार पर स्कूल के छात्र के अंकों का मूल्यांकन की नीति छात्रों के साथ अन्याय होगी क्योंकि स्कूल का प्रदर्शन किसी भी तरह से छात्र के प्रदर्शन के साथ संबंधित नहीं है।"
याचिका में यह भी कहा गया है कि जिले, राष्ट्रीय और राज्य औसत के समग्र औसत स्कोर के अनुरूप अंकों का ऐसा मॉडरेशन स्कूल के छात्रों के लिए बिल्कुल अनुचित, अतार्किक और दंडात्मक है जो पहली बार बोर्ड परीक्षा में शामिल हो रहे हैं, जिनका पिछले वर्ष के प्रदर्शन का कोई ऐतिहासिक डेटा नहीं है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि समिति द्वारा दिए गए अनुचित अंक के लिए पीड़ित माता-पिता या छात्र की किसी भी शिकायत के मामले में सीबीएसई द्वारा प्रतिनियुक्त टीम द्वारा रिकॉर्ड का जांच किया जाना चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि,
"परिणाम घोषित न करना स्कूल के अनुचित और पक्षपातपूर्ण व्यवहार के लिए छात्रों को दंडित करने की बोर्ड की नीति मनमाना है और इसे कुछ सौहार्दपूर्ण समाधान के साथ फिर से देखने की आवश्यकता है ताकि स्कूल के छात्रों को बिना किसी गलती के नुकसान न उठाना पड़े।"
याचिका में निम्नलिखित प्रार्थनाएं की गई हैं;
- दिनांक 01.05.2021 के स्कूल द्वारा आयोजित आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर कक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा 2021 के अंकों की गणना की आक्षेपित नीति के संशोधन के लिए प्रतिवादियों को एक आदेश, रिट या निर्देश दिया जाए। इसके साथ ही स्कूल के पिछले साल के सर्वश्रेष्ठ समग्र प्रदर्शन के आधार पर स्कूल के औसत अंकों के आधार पर स्कूल के छात्र के अंकों का मूल्यांकन की नीति को रद्द करने के लिए निर्देश दिया जाए।
- वैकल्पिक रूप से प्रतिवादी संख्या 1 को स्कूलों द्वारा अंकों को अपलोड करने की अनुमति देने के लिए निर्देश देना, भले ही संदर्भ वर्ष के औसत के साथ विषमता पिछले वर्ष के स्कूलों के प्रदर्शन से +/- 2 अंकों से अधिक हो।
- प्रतिवादियों को एक आदेश, रिट या निर्देश पारित करते हुए बोर्ड द्वारा संबद्ध सभी स्कूलों को निर्देश दें कि वे परिणाम की गणना करने और उसे अपलोड करने से पहले दसवीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए तैयार मानदंड के लिए उनकी संबंधित वेबसाइटों पर तर्क दस्तावेज प्रकाशित करें। सीबीएसई पोर्टल पर पारदर्शिता लाई जाए ताकि छात्र इसे एक्सेस कर सकें और समय पर बोर्ड के साथ अपनी शिकायतें उठा सकें।
- प्रतिवादी संख्या 1 के साथ संबद्ध सभी स्कूलों को 11वीं कक्षा के छात्रों के लिए स्ट्रीम का चयन के मानदंड को उनकी संबंधित वेबसाइटों पर प्रकाशित करने और उसी के लिए छात्रों द्वारा एक शिकायत निवारण तंत्र तैयार करने के लिए आदेश, रिट या निर्देश दिया जाए।
- प्रतिवादी संख्या 1 को भविष्य में अंकों के जांच के लिए छात्रों के रिकॉर्ड को अपने पास रखना या यह सुनिश्चित करना कि स्कूलों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली पारदर्शी और निष्पक्ष है। इसके लिए आदेश, रिट या निर्देश दिया जाए।
- प्रतिवादी संख्या1 को वर्ष 2020-21 के मूल्यांकन परिणामों के अंकों की जांच/पुनर्मूल्यांकन की नीति को समाप्त नहीं करने के लिए आदेश, रिट या निर्देश दिया जाए।
- प्रतिवादी संख्या 1 को स्कूल द्वारा आयोजित किए जाने के बजाय सीबीएसई द्वारा ऑब्जेक्टिव प्रकार की ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करने के लिए आदेश, रिट या निर्देश दिया जाए।
- प्रतिवादी संख्या1 को स्कूल के टाइपोग्राफिकल त्रुटि के मामले में अंकों के गलत अपलोडिंग में सुधार के लिए तंत्र तैयार करने के लिए आदेश, रिट या निर्देश दिया जाए।