इंडिगो की उड़ानें रद्द होने पर चार गुना मुआवज़े की मांग वाली जनहित याचिका खारिज

Amir Ahmad

17 Dec 2025 3:59 PM IST

  • इंडिगो की उड़ानें रद्द होने पर चार गुना मुआवज़े की मांग वाली जनहित याचिका खारिज

    दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस द्वारा हाल में रद्द की गई उड़ानों के लिए चार गुना मुआवज़ा देने और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के खिलाफ न्यायिक जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका को सुनवाई से इनकार किया। अदालत ने कहा कि इसी मुद्दे पर पहले से एक याचिका लंबित है और अलग-अलग याचिकाएं दाखिल करने का कोई औचित्य नहीं है।

    चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विराग गुप्ता पेश हुए, जबकि केंद्र सरकार और डीजीसीए की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने पक्ष रखा।

    सुनवाई की शुरुआत में ही पीठ ने कहा कि अदालत पहले ही इसी तरह के मुद्दों पर एक अन्य जनहित याचिका पर विचार कर रही है और उस मामले में अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ। अदालत ने कहा कि समान मुद्दों पर कई याचिकाएं दायर करना उचित नहीं है।

    याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि पहले जारी किए गए शो-कॉज नोटिस के बावजूद अदालत द्वारा उठाए गए मुद्दों का समाधान नहीं हुआ। DGCA ने अब तक अपनी रिपोर्ट दाखिल नहीं की। उन्होंने कहा कि दिसंबर महीने में पांच हजार से अधिक उड़ानें रद्द हुईं जिससे लगभग 12.5 लाख यात्री प्रभावित हुए और कई मामलों में अब तक पूरी रिफंड प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई।

    इस पर पीठ ने सवाल किया कि अलग जनहित याचिका दाखिल करने की क्या आवश्यकता है और पूछा कि याचिकाकर्ता पहले से लंबित मामले में हस्तक्षेप क्यों नहीं करता। अदालत ने कहा कि मामलों की बहुलता से किसी को कोई लाभ नहीं होगा।

    चार गुना मुआवज़े की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि यदि यात्रियों की मानसिक पीड़ा को आधार बनाया जा रहा है तो मुआवज़े को किसी निश्चित गुणक तक सीमित करने का औचित्य क्या है।

    अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिका में मांगी गई क्लास-एक्शन राहत के लिए वैकल्पिक वैधानिक उपाय मौजूद हैं और हाईकोर्ट इस स्तर पर ऐसे दावों की निगरानी नहीं कर सकता। खंडपीठ ने दोहराया कि मुआवज़े के मुद्दे पर वह DGCA की रिपोर्ट आने के बाद विचार करेगी और याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि वह लंबित मामले में ही अपनी आपत्तियां उठाए।

    याचिका सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमेटिक चेंज द्वारा दाखिल की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि इंडिगो की लापरवाही और DGCA द्वारा नियामकीय प्रावधानों के प्रभावी क्रियान्वयन में विफलता के कारण लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। याचिका में यह भी कहा गया कि बड़ी एयरलाइनों के खिलाफ कार्रवाई न होने से विशेष व्यवहार का आभास मिलता है।

    इससे पहले 10 दिसंबर को हाईकोर्ट ने इंडिगो संकट और बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द होने के मामले में स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया और यह भी निर्देश दिया कि यात्रियों को मुआवज़ा देने से संबंधित नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए।

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