दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर अकाउंट सस्पेंड करने के मामले में एलन मस्क को पक्षकार बनाने की मांग करने वाले वादियों पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

Shahadat

4 Nov 2022 6:11 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने ट्विटर अकाउंट सस्पेंड करने के मामले में एलन मस्क को पक्षकार बनाने की मांग करने वाले वादियों पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ट्विटर अकाउंट सस्पेंड को चुनौती देने वाली याचिका में एलन मस्क को पक्षकार बनाने की मांग करने वाले आवेदन पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाते हुए उसे खारिज कर दिया।

    जस्टिस यशवंत वर्मा ने आवेदन को "पूरी तरह से गलत" बताते हुए खारिज कर दिया।

    अदालत ने कहा,

    "आवेदन पूरी तरह से गलत है। यह संभवतः विवादित नहीं हो सकता कि कॉर्पोरेट इकाई (ट्विटर) पहले से ही प्रतिनिधित्व कर रही है। आवेदन को स्थानांतरित करने का कोई अवसर नहीं। इसे 25,000 रुपये के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया जाता है।"

    यह आदेश महिला डिंपल कौल के लंबित मामले में उनके अकाउंट को सस्पेंड करने के खिलाफ दायर आवेदन पर पारित किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उसे बिना सुनवाई के सस्पेंड कर दिया गया।

    सुनवाई के दौरान कौल की ओर से पेश वकील राघव अवस्थी ने कहा कि उनके पास मस्क को पक्षकार बनाने की मांग वाली अर्जी पर दबाव बनाने का निर्देश। उन्होंने तर्क दिया कि मस्क न केवल ट्विटर के एकमात्र निदेशक हैं बल्कि उनके पास इसमें शेयर भी हैं।

    जस्टिस वर्मा ने अवस्थी से पूछा,

    "क्या आप इस आवेदन पर मुकदमा चलाने के लिए गंभीर हैं?"

    वकील ने सकारात्मक जवाब दिया।

    एडवोकेट मुकेश शर्मा के माध्यम से दायर आवेदन में यह तर्क दिया गया कि मुक्त भाषण पर मस्क का "बहुत अलग रुख" है, जिससे उनकी राय है कि "जब तक भाषण देश के कानून का उल्लंघन नहीं करता है, तब तक ऐसा नहीं होना चाहिए कि ट्विटर द्वारा कटौती की जाए।"

    एप्लिकेशन ने मस्क के ट्वीट्स पर भरोसा किया।

    याचिका में यह भी जोड़ा गया,

    "27.10.2022 को ट्विटर इंक. (प्रतिवादी नंबर दो) को एलोन मस्क के निजी हाथों में ले जाया गया। अब तक उसी के शेयरों का न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भी कारोबार नहीं किया जा रहा है।"

    कौल की याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र ने पहले हलफनामा दायर किया, जिसमें कहा गया कि महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थों (एसएसएमआई) से अकाउंट पर कोई कार्रवाई करने से पहले यूजर्स को पूर्व नोटिस जारी करने की उम्मीद की जाती है और इसका पालन करने में विफलता सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश) नियम 2021 का उल्लंघन हो सकती है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि यदि मध्यस्थ प्लेटफॉर्म आईटी नियम, 2021 में परिभाषित महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी (एसएसएमआई) श्रेणी के अंतर्गत आता है तो नियम 4 (8) के अनुसार, एसएसएमआई से यूजर्स को की जा रही कार्रवाई और ऐसी कार्रवाई करने के आधार या कारणों की व्याख्या करने की पूर्व अधिसूचना देने की उम्मीद की जा सकती है।

    केंद्र ने कहा कि केवल उन मामलों में जहां यूजर्स के अकाउंट में अधिकांश सामग्री या पोस्ट या ट्वीट गैरकानूनी हैं, प्लेटफॉर्म पूरी जानकारी को हटाने या अकाउंट सस्पेंड करने का कदम उठा सकता है।

    यूजर्स अकाउंट को स्थायी रूप से सस्पेंड करने के लिए माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं का बैच हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।

    केस टाइटल: डिंपल कौल बनाम यूओआई और अन्य जुड़े मामले

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