"भीड़ को भड़काते हुए नहीं पाया गया": दिल्ली हाईकोर्ट ने जहांगीरपुरी दंगा मामले में आरोपी को जमानत दी

Brij Nandan

31 Aug 2022 5:23 AM GMT

  • भीड़ को भड़काते हुए नहीं पाया गया: दिल्ली हाईकोर्ट ने जहांगीरपुरी दंगा मामले में आरोपी को जमानत दी

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने अप्रैल में शहर के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के जुलूस के दौरान हुई झड़पों (Jahangirpuri Riots Case) के सिलसिले में एक आरोपी बाबुद्दीन को जमानत दी।

    यह देखते हुए कि बाबुद्दीन 27 अप्रैल से हिरासत में है, जस्टिस योगेश खन्ना की एकल न्यायाधीश की पीठ ने यह देखते हुए जमानत दे दी कि उसे आगे की जांच की आवश्यकता नहीं है।

    अदालत ने यह भी नोट किया कि आरोपी के लिए चार्जशीट पहले ही दायर की जा चुकी है और एक सह-आरोपी को भी हाल ही में प्राथमिकी में जमानत दी गई थी।

    बाबुद्दीन के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 186, 353, 332, 323, 427, 436, 307, 120B और आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत एफआईआऱ दर्ज की गई थी।

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, भीड़ का नेता बाबुद्दीन था और दो सीसीटीवी फुटेज में उसकी पहचान भी की गई थी।

    इस पर, कोर्ट ने देखा कि सीसीटीवी फुटेज के अवलोकन से पता चला कि बाबुद्दीन बस खड़ा था और भीड़ को उकसाते हुए नहीं पाया गया है।

    अदालत ने नोट किया,

    "आगे की पूछताछ पर निर्देश पर एपीपी ने गवाहों में से एक को प्रस्तुत किया, अर्थात् एएसआई जोगिंदर ने बयान दिया है कि वह कथित रूप से भीड़ का नेतृत्व कर रहा था। हालांकि राज्य ने इस तथ्य को दिखाने के लिए कई अन्य सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्ड करने के लिए कई तारीखें ली हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक रिकॉर्ड पर नहीं रखा है। "

    अदालत ने 20,000 रुपए के निजी बॉन्ड भरने और इतनी ही राशि का एक जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।

    मामले में बाबुद्दीन को जमानत देने से इनकार करते हुए ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि उसकी पहचान घटना के दिन रिकॉर्ड किए गए सीसीटीवी फुटेज और एक चश्मदीद गवाह के आधार पर हुई थी। यह भी देखा गया कि चश्मदीद गवाह, एक हेड कांस्टेबल का बयान दंगों में आरोपी की प्रथम दृष्टया भूमिका को दर्शाता है।

    आरोपी के अनुसार, न तो उसकी दुकान या घर और न ही कैमरा, जिस पर अभियोजन पक्ष ने भरोसा किया था, उक्त जुलूस के रास्ते में आता है।

    जमानत याचिका में कहा गया है कि आरोपी का सह आरोपी अंसार से कोई संबंध नहीं था और अभियोजन पक्ष एसोसिएशन को साबित करने के लिए भौतिक साक्ष्य पेश करने में विफल रहा।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि ट्रायल कोर्ट घटनाओं की सही श्रृंखला में आवेदक के संबंध में सही तथ्यों और परिस्थितियों की सराहना करने और उन पर विचार करने में विफल रहा।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट केसी मित्तल, आबिद अहमद, मोबीना खान और युगांश मित्तल पेश हुए।

    केस टाइटल: बाबुद्दीन बनाम राज्य

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 818


    Next Story