मंडोली जेल में वसूली और मारपीट पर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कैदी की शिकायत CBI को भेजी

Amir Ahmad

19 Nov 2025 12:32 PM IST

  • मंडोली जेल में वसूली और मारपीट पर हाईकोर्ट की गंभीर टिप्पणी, कैदी की शिकायत CBI को भेजी

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंडोली जेल में अंडरट्रायल कैदी द्वारा लगाए गए वसूली और हिरासत में मारपीट के आरोपों को अत्यंत गंभीर बताते हुए मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को भेजने का निर्देश दिया।

    जस्टिस संजीव नरूला ने कहा कि आरोप प्रथम दृष्टया रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री से समर्थित हैं, जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

    अदालत ने निर्देश दिया कि कैदी फरमान की याचिका को उस CBI जांच में शिकायत के रूप में शामिल किया जाए, जो इसी तरह के आरोपों को लेकर अदालत की निगरानी में पहले से चल रही है। कोर्ट ने कहा कि जेल प्रशासन और निगरानी से जुड़े कथित चूकें विशेषकर वे जो कैदियों की सुरक्षा और उनके साथ होने वाले व्यवहार से संबद्ध हों, अत्यंत गंभीर चिंताओं को जन्म देती हैं।

    फरमान आर्म्स एक्ट के मामले में विचाराधीन कैदी है। उसने आरोप लगाया कि जेल अधिकारियों के इशारे पर कैदियों द्वारा उससे और अन्य बंदियों से पैसों की वसूली की जा रही है। उन्होंने कहा कि 7 जून 2024 को कुछ कैदियों ने जेल अधिकारियों के निर्देश पर उनकी पिटाई की और यह घटना सीसीटीवी में कैद भी हुई।

    फरमान का यह भी कहना है कि जेल में वसूली का व्यापक नेटवर्क चल रहा है, जिसके तहत कैदियों को पेटीएम जैसे डिजिटल माध्यमों से पैसे भेजने को मजबूर किया जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि धमकियों के चलते उन्होंने बड़ी रकम चुकाई लेकिन इसके बावजूद उत्पीड़न कम नहीं हुआ बल्कि और बढ़ गया।

    राज्य सरकार की ओर से पेश एडवोकेट ने आरोपों का खंडन करते हुए बताया कि 28 अक्टूबर को दिए गए डिवीजन बेंच के आदेश के बाद CBI ने समान प्रकृति के आरोपों पर FIR दर्ज कर ली है। इसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 386 और 120बी, भारतीय न्याय संहिता 2023 की (BNS) धारा 61(2) सहपठित धारा 308(5), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध दर्ज किए गए। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय ने प्रशासनिक चूक की जांच के लिए एक जांच अधिकारी भी नियुक्त किया।

    याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत ने कहा कि फरमान की याचिका और रिकॉर्ड पर मौजूद समस्त सामग्री CBI के जांच अधिकारी को भेजी जाए, जो इसे शिकायत के रूप में दर्ज कर उचित जांच करेंगे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच अधिकारी यह तय करने के लिए स्वतंत्र होंगे कि क्या अलग से मामला दर्ज किया जाए या आरोपों को मौजूदा जांच में ही सम्मिलित किया जा सकता है।

    अदालत ने यह भी कहा कि फरमान को मंडोली जेल से किसी अन्य जेल में ट्रांसफर करने का अनुरोध इस चरण पर स्वीकार नहीं किया जा रहा। हालांकि यदि जांच में उनके आरोपों में दम पाया जाता है तो वह उपयुक्त राहत पाने के लिए सक्षम मंच का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं।

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