दिल्ली हाईकोर्ट ने नई नीति बनाने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा संचालित स्कूल में एडमिशन में पक्षपात का आरोप लगाने वाली याचिका का निपटारा किया

LiveLaw News Network

10 Dec 2021 8:25 AM GMT

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    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को नई नीति बनाने के बाद जामिया मिल्लिया इस्लामिया द्वारा संचालित स्कूल में एडमिशन में पक्षपात का आरोप लगाने वाली याचिका का निपटारा किया।

    जस्टिस प्रतीक जालान को जामिया मिल्लिया इस्लामिया की ओर से पेश हुए एडवोकेट प्रीतीश सभरवाल ने अवगत कराया कि उसने 1 दिसंबर, 2021 की अपनी पिछली नीति को वापस ले लिया था और 7 दिसंबर, 2021 को एक नई नीति तैयार की गई।

    पहले की नीति के अनुसार, यह था कि नर्सरी, प्री, क्लास I, VI, IX और XI को छोड़कर सभी कक्षाओं में रिक्तियों को बातचीत/साक्षात्कार के माध्यम से भरा जाना है और इसके बाद लिखित परीक्षा के माध्यम से एडमिशन दिया जाएगा।

    कोर्ट को बताया गया कि नई नीति के तहत हर साल स्कूल में दाखिले के लिए आवेदन आमंत्रित करने की अधिसूचना जारी की जाएगी, जिसके बाद कक्षा छठी, नौवीं और ग्यारहवीं की लिखित परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा।

    इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि कक्षा II, III, IV, V, VII और VIII में किसी भी आकस्मिक रिक्ति के मामले में इसे एक सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करके भरा जाएगा। नर्सरी, प्री और कक्षा I में प्रवेश के लिए, यह ड्रा की प्रक्रिया पर आधारित होगा।

    यह भी कहा गया है कि उक्त स्कूल में किसी भी श्रेणी में पहले आओ पहले के आधार पर या किसी भी साक्षात्कार के आधार पर कोई एडमिशन नहीं होगा।

    शुरुआत में, सभरवाल ने अदालत को आश्वासन दिया कि जामिया उक्त नीति का पालन करेगा और याचिकाकर्ताओं को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के लिए उपयुक्त कक्षाओं में दस्तावेजों को जमा करने के अधीन स्कूल में एडमिशन दिया जाएगा।

    अदालत ने कहा,

    "उपरोक्त के मद्देनजर इन याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाई गई शिकायत संतुष्ट है। इसलिए याचिकाओं का निपटारा जामिया द्वारा तैयार की गई 07.12.2021 की नीति को ध्यान में रखते हुए किया जाता है।"

    कोर्ट ने इससे पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार और प्रतिवादी स्कूल के प्रिंसिपल को इस मामले में तलब किया था।

    याचिका अधिवक्ता इरम पीरजादा और अधिवक्ता मो. सरफराज के माध्यम से दायर किया गया था। इसमें आरोप लगाया कि जामिया स्कूल प्रवेश समिति के अध्यक्ष और "पेड सीट श्रेणी" के तहत एडमिशन देने वाले प्रतिवादी स्कूल के प्रभारी के पास ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार या मंजूरी नहीं है।

    याचिका में कहा गया,

    "स्कूल प्रवेश समिति अध्यक्ष यानी प्रतिवादी संख्या 3 और प्रभारी, प्रतिवादी स्कूल, यानी प्रतिवादी संख्या 4, जिस तरह से वे आगे बढ़े हैं, यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि इसने भाई-भतीजावाद और पक्षपात के आधार पर पीछ के दरवाजे से एडमिशन का द्वार खोल दिया है।"

    यह भी कहा गया कि प्रतिवादी स्कूल में एडमिशन की पूरी प्रक्रिया शक्ति का अनुचित प्रयोग है, जिसके परिणामस्वरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 21 ए का खुला उल्लंघन हुआ।

    केस का शीर्षक: शिफा बनाम जामिया मिलिया इस्लामिया एंड अन्य

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