दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू में ऑक्सीजन युक्त बेड के साथ एक समर्पित 'कोविड हेल्थ सेंटर' स्थापित करने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
14 May 2021 11:10 AM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार (13 मई) को COVID-19 पॉजिटिव व्यक्तियों को तत्काल आइसोलेट करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अंदर एक 'कोविड केयर सेंटर' स्थापित करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की खंडपीठ ने कहा कि एक समर्पित 'कोविड केयर सेंटर' स्थापित करने से आसानी से कोविड पॉजिटिव व्यक्तियों को तुरंत आइसोलेट किया जा सकता है और उनके बुनियादी मानकों की निगरानी की जा सकेगी।
कोर्ट के समक्ष मामला
कोर्ट में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र संघ और शिक्षक संघ और जेएनयू के दो प्रोफोसर की ओर से यह याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने विश्वविद्यालय परिसर में COVID देखभाल सुविधाओं की स्थापना के लिए निर्देश के साथ-साथ COVID प्रतिक्रिया टीम और विश्वविद्यालय परिसर के अंदर कुछ ऑक्सीजन सुविधाओं के लिए प्रतिवादी को निर्देश देने की मांग की।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अप्रैल के दूसरे सप्ताह के आसपास COVID-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप के कारण याचिकाकर्ताओं ने संबंधित क्षेत्र के तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए प्रतिवादी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, जेएनयू के कुलपति के साथ-साथ एडीएम/एसडीएम को कई पत्र लिखे।
हालांकि किसी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने चिंता व्यक्त करते हुए याचिका दायर की।
जेएनयू की दलील
कोर्ट के समक्ष पेश हुए जेएनयू के रजिस्ट्रार ने प्रस्तुत किया कि विश्वविद्यालय द्वारा पहले से ही एक COVID टास्क फोर्स की स्थापना की गई हैं, जिसमें नौ सदस्य शामिल हैं और 18 अप्रैल, 2021 को गठित होने के बाद इसके द्वारा कई COVID19 रोगियों की मदद की गई। जिन्हें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता है, उन्हें उक्त टास्क फोर्स द्वारा सहायता प्रदान की गई।
कोर्ट का अवलोकन
कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि अगर अचानक कोविड मामलों में वृद्धि होती है तो परिसर के निवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और कोविड टास्क फोर्स और कोविड रिस्पांस टीम द्वारा पहले से ही उठाए गए कदमों के अलावा और कदम उठाने की जरूरत है।
कोर्ट ने इस प्रकार यह देखते हुए कि COVID टास्क फोर्स और COVID रिस्पांस टीम पहले से ही JNU परिसर में काम कर रही है, निम्नलिखित निर्देश जारी किए।
1. COVID-19 पॉजिटिव व्यक्तियों को तत्काल आइसोलेट करने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के अंदर एक 'कोविड देखभाल केंद्र' स्थापित किया जाए। इसके लिए परिसर की पहचान संबंधित एसडीएम के परामर्श से कोविड टास्क फोर्स द्वारा की जाएगी।
2. यदि याचिकाकर्ता संघ के किसी भी सदस्य की सेवाओं की आवश्यकता है तो उनकी सिफारिशों/सहायता का भी कोविड टास्क फोर्स द्वारा लाभ उठाया जा सकता है।
3. COVID-19 पॉजिटिव लोगों के बुनियादी मापदंडों की निगरानी की सुविधा के लिए यदि किसी पैरामेडिक / नर्सिंग स्टाफ की आवश्यकता होती है तो एसडीएम और जेएनयू टास्क फोर्स एक आम सहमति पर विचार करें कि कैसे पैरामेडिक / नर्सिंग स्टाफ की व्यवस्था की जाएगी।
4. आइसोलेशन में किसी भी रोगी के लिए यदि आवश्यक हो तो स्वयंसेवकों के लिए परिसर में डॉक्टरों को भी रखा जा सकता है।
5. यदि रोगियों को ऑक्सीजन युक्त बेड की आवश्यकता पड़ सकती है तो जेएनयू टास्क फोर्स संबंधित क्षेत्र के एसडीएम के साथ-साथ दिल्ली सरकार के साथ समन्वय कर सकती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उपरोक्त तीन सुविधाओं में से कौन सी या कोई अन्य सुविधाओं के लिए जेएनयू के साथ गठबंधन करना चाहिए ताकि जेएनयू परिसर के निवासियों के लिए यदि ऑक्सीजन युक्त बेड या किसी आईसीयू सुविधा की आवश्यकता होती है तो उसकी व्यवस्था की जा सके।
6. जेएनयू में ऑक्सीजन युक्त बेड के साथ एक समर्पित `कोविड हेल्थ सेंटर' के निर्माण के लिए टास्क फोर्स को संबंधित क्षेत्र के एसडीएम और दिल्ली सरकार के साथ आवश्यकता अनुसार बात करनी चाहिए।
7. यदि आसपास के किसी भी अस्पताल के साथ कोई टाई-अप करने की आवश्यकता है, तो उसकी पहचान भी की जाएगी और स्थिति रिपोर्ट में नियमों और शर्तों का भी उल्लेख किया जाएगा।
संबंधित समाचारों में दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (11 मई) को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को तेजी और तत्परता के साथ प्रतिक्रिया नहीं देने पर उसकी खिंचाई की क्योंकि COVID केयर सेंटर की स्थापना की मांग करने वाले छात्रों और शिक्षकों द्वारा दायर याचिका के मुताबिक COVID-19 मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही याचिका में परिसर के भीतर ऑक्सीजन उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की खंडपीठ ने नोटिस जारी करने के साथ-साथ कई दिशा-निर्देश भी जारी किए। पीठ ने कहा कि 13 अप्रैल से छात्रों और शिक्षकों के अनुरोधों का जवाब देने में विश्वविद्यालय की विफलता, यदि सही है तो यह माना जाएगा कि इस खतरनाक स्थिति में जेएनयू प्रशासन ने व्यापक उपेक्षा की है।