दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया को शारजील उस्मानी के एमए कोर्स में एडमिशन को नियमित करने का निर्देश दिया

Shahadat

17 Oct 2022 11:07 AM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया को शारजील उस्मानी के एमए कोर्स में एडमिशन को नियमित करने का निर्देश दिया

    दिल्ली हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व छात्र शरजील उस्मानी को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (जेएमआई) में 'सामाजिक बहिष्कार और समावेशी योजना(सीएसएसईआईपी)' के ​​थर्ड सेमेस्टर एग्जाम में बैठने की अनुमति दे दी।

    जस्टिस संजीव नरूला ने जामिया को पहले और दूसरे सेमेस्टर एग्जाम के संबंध में उस्मानी के परिणाम तुरंत घोषित करने का भी निर्देश दिया। अदालत ने यूनिवर्सिटी से उसके एडमिशन को नियमित करने को भी कहा।

    उस्मानी ने इस साल की शुरुआत में हाईकोर्ट का रुख किया था और जामिया को निर्देश देने की मांग की थी कि वह उसे फर्स्ट सेमेस्टर एग्जाम में शामिल होने की अनुमति दे, जो 20 फरवरी के बाद आयोजित की जानी थी।

    उसे केवल अस्थायी एडमिशन दिया गया, क्योंकि वह कैरेक्टर सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं था। 23 फरवरी को उसके पक्ष में अंतरिम आदेश पारित किया गया, जिससे उसे पहले सेमेस्टर एग्जाम में बैठने की अनुमति मिली। इसके बाद उसे दूसरे सेमेस्टर एग्जाम में बैठने की भी अनुमति दी गई।

    उनकी याचिका में प्रार्थना की गई कि जामिया को केवल आपराधिक मामलों में दोषसिद्धि को छात्र के कैरेक्टर पर नकारात्मक टिप्पणी के रूप में माना जाए और छात्र के कोर्स या एग्जाम के लिए एडमिशन पर विचार करते समय एफआईआर दर्ज करने की पूरी तरह से अवहेलना करने के लिए कहा जाए।

    12 अक्टूबर को उस्मानी के वकील ने अदालत को बताया कि उसका नाम पहले और दूसरे सेमेस्टर एग्जाम के घोषित परिणामों में नहीं है, क्योंकि उसका परिणाम रोक दिया गया।

    उक्त सबमिशन के जवाब में जामिया के लिए उपस्थित सरकारी वकील ने तर्क दिया कि अदालत ने उस्मानी को दो सेमेस्टर एग्जाम में शामिल होने की अनुमति देने के निर्देश प्रकृति में अंतरिम है और एएमयू से प्राप्त उनके कैरेक्टर सर्टिफिकेट में आपराधिक मामलों का उल्लेख किया गया, जो नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के विरोध में प्रदर्शन में उसके खिलाफ दर्ज किए गए।

    हालांकि, अदालत के सवाल के जवाब में वकील ने माना कि इस मुद्दे पर जामिया के अध्यादेश में कोई प्रावधान नहीं है।

    जस्टिस नरूला ने कहा कि कैरेक्टर सर्टिफिकेट में केवल आपराधिक मामलों का उल्लेख होता है और उस्मानी के खिलाफ अंतिम निर्णय या किसी दोषसिद्धि आदेश का उल्लेख होता है।

    अदालत ने आदेश में उल्लेख किया,

    "याचिकाकर्ता को कैरेक्टर सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने में देरी के कारण उक्त परीक्षाओं में उपस्थित होने से रोक दिया गया। यह देरी, जैसा कि एएमयू के वकील द्वारा समझाया गया, कैरेक्टर सर्टिफिकेट में आपराधिक मामलों के उल्लेख के संबंध में एएमयू द्वारा कानूनी राय मांगने के कारण उत्पन्न हुई।"

    अदालत ने फैसला सुनाया कि कैरेक्टर सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने में देरी के लिए उस्मानी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

    अदालत ने कहा:

    "इस कारण से याचिकाकर्ता को उक्त सेमेस्टर एग्जाम को देने के अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता, खासकर जब उसने कक्षाओं में भाग लिया।"

    अदालत ने आगे कहा कि वह पहले और दूसरे सेमेस्टर में पहले ही पेश हो चुका है और "अगर अंतरिम आदेश की पुष्टि नहीं होती है तो यह न्याय का उपहास होगा।"

    अंतरिम आदेश की पुष्टि करते हुए अदालत ने जामिया को निम्नलिखित तीन निर्देश जारी किए:

    (ए) जामिया फर्स्ट और सेकेंड सेमेस्टर एग्जाम के संबंध में याचिकाकर्ता के परिणाम तुरंत घोषित करेगा;

    (बी) याचिकाकर्ता का प्रवेश पूरी तरह से नियमित किया जाएगा;

    (सी) तदनुसार, उसे तीसरे सेमेस्टर एग्जाम में बैठने की अनुमति दी जाएगी।

    केस टाइटल: शारजील उस्मानी बनाम जामिया मिलिया इस्लामिया और अन्य।

    साइटेशन: लाइव लॉ (दिल्ली) 979/2022

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