दिल्ली दंगों की जांच पर हाईकोर्ट ने पुलिस से रिपोर्ट तलब की, 21 नवम्बर को होगी अगली सुनवाई

Amir Ahmad

18 Nov 2025 2:14 PM IST

  • दिल्ली दंगों की जांच पर हाईकोर्ट ने पुलिस से रिपोर्ट तलब की, 21 नवम्बर को होगी अगली सुनवाई

    दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को वर्ष 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़ी FIR की जांच की वर्तमान स्थिति बताने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने दंगों की स्वतंत्र जांच और राजनेताओं पर घृणास्पद भाषण के आरोपों में FIR दर्ज करने संबंधी अनेक याचिकाओं को 21 नवम्बर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    इन याचिकाओं में से एक जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर की गई, जिसमें निवेदन किया गया कि सभी मामलों की जांच स्वतंत्र विशेष जांच दल द्वारा की जाए, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी रिटायर जज को दी जाए। संगठन ने यह भी आग्रह किया कि दिल्ली पुलिस के किसी भी अधिकारी को इस दल में शामिल न किया जाए।

    संगठन के एडवोकेट ने अदालत के समक्ष दंगों की विस्तृत घटनाओं और हुई मौतों का विवरण रखा, जिस पर खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी की कि FIR दर्ज हो चुकी हैं और पुलिस जांच कर रही है,ऐसे में और क्या शेष रह जाता है। एडवोकेट ने कहा कि उनकी आपत्ति यही है कि जांच निष्पक्ष नहीं है, इसलिए स्वतंत्र जांच आवश्यक है।

    इस पर जस्टिस चौधरी ने कहा कि यदि जांच पर संदेह है तो चुनौती मजिस्ट्रेट के समक्ष दी जानी चाहिए, क्योंकि ऐसे प्रश्न तथ्यात्मक होते हैं। हाईकोर्ट इस प्रकार की तथ्य-गहन बहस को रिट याचिका में नहीं देख सकता। जज ने यह भी कहा कि छह–सात वर्ष बीत चुके हैं परंतु वैकल्पिक उपाय का उपयोग ही नहीं किया गया, जबकि पुलिस लगातार जांच कर रही है और FIR दर्ज हैं।

    अदालत ने मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को निर्धारित की और दिल्ली पुलिस के एडवोकेट ध्रुव पांडे को निर्देश दिया कि वे अब तक दर्ज की गई FIR की संख्या सहित जांच की स्थिति प्रस्तुत करें।

    याचिकाओं के इस समूह में शैख मुज्तबा द्वारा दायर याचिका भी शामिल है, जिसमें कुछ नेताओं पर दंगा भड़काने वाले कथित उत्तेजक भाषण देने का आरोप लगाते हुए FIR दर्ज करने और जांच की मांग की गई। 'लॉयर्स वॉइस' द्वारा दायर याचिका में भी कई अन्य नेताओं के विरुद्ध इसी प्रकार के आरोप लगाए गए।

    इसके अतिरिक्त कुछ याचिकाओं में विशेष जांच दल के साथ एक पृथक और सक्षम जांच निकाय गठित करने की मांग भी की गई, जो दंगों की योजना, तैयारी और घटनाक्रम के सभी पहलुओं की जांच करे।

    अजय गौतम की याचिका में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों के वित्तपोषण की जांच राष्ट्रीय जांच अभिकरण द्वारा कराने की मांग की गई। याचिका में दावा किया गया कि इन प्रदर्शनों को प्रतिबंधित संगठन पीएफ़आई द्वारा प्रायोजित किया गया और कुछ राजनीतिक दलों का भी इसमें समर्थन था। साथ ही कुछ नेताओं पर कथित भड़काऊ भाषणों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध भी किया गया।

    ब्रिंदा करात द्वारा दायर याचिका में पुलिस, रैपिड ऐक्शन फ़ोर्स और अन्य अधिकारियों के कथित दुराचार और अत्याचारों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई।

    दिसम्बर, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राजनीति से जुड़े मामलों में FIR दर्ज करने और जांच से संबंधित याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट शीघ्र निर्णय ले, वरीयता से तीन माह के भीतर।

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