दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरकास्ट कपल की सुरक्षा के लिए याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा

Brij Nandan

21 April 2023 5:48 PM IST

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने इंटरकास्ट कपल की सुरक्षा के लिए याचिका पर पुलिस से जवाब मांगा

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शुक्रवार को एक अंतरजातीय जोड़े की सुरक्षा के लिए याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।

    लड़की के परिवार की सहमति के खिलाफ शादी करने वाले अंतरजातीय बालिग जोड़े की तरफ से दायर सुरक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि दिल्ली पुलिस उन जोड़ों की मदद और सहायता के लिए एक "रनअवे कपल सेल" रखने पर विचार कर सकती है, जो बालिग हैं और अपने परिवारों की असहमति के खिलाफ जाकर शादी करते हैं और उन्हें परिवार की ओर से धमकियां मिलती हैं। कोर्ट ने इस संबंध में अशोक कुमार टोडी मामले का हवाला दिया।

    2011 में अशोक कुमार टोडी बनाम किश्वर जहां व अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर के पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि अंतरजातीय या अंतर-धार्मिक विवाह करने वाले एक बालिग जोड़े को किसी के द्वारा परेशान नहीं किया जाता है या धमकी या हिंसा कृत्यों के अधीन नहीं किया जाता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था,

    "अगर लड़के या लड़की के माता-पिता इस तरह के अंतर-जातीय या अंतर्धार्मिक विवाह को मंजूरी नहीं देते हैं तो वे अधिकतम यह कर सकते हैं कि वे बेटे या बेटी के साथ सामाजिक संबंधों को तोड़ सकते हैं, लेकिन वे धमकी नहीं दे सकते हैं। उस व्यक्ति को परेशान नहीं कर सकता जो इस तरह के अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक विवाह से गुजरता है।“

    उच्च न्यायालय के समक्ष मामले में जोड़े ने 07 अप्रैल को तीस हजारी में एक आर्य समाज मंदिर में शादी की और उन्हें विवाह प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

    दंपति को कथित तौर पर महिला के परिवार से धमकियां मिल रही हैं क्योंकि उन्होंने उनकी सहमति के बिना शादी कर ली। इस प्रकार दंपति ने खतरों के खिलाफ अपने जीवन और स्वतंत्रता के संबंध में पुलिस सुरक्षा की मांग की।

    दंपति की ओर से पेश वकील ने कहा कि दोनों व्यक्ति, जो अदालत में मौजूद थे, बालिग हैं, जैसा कि याचिका में संलग्न उनके पहचान पत्र से पता चलता है। यह तर्क दिया गया कि 11 अप्रैल को संबंधित एसएचओ के पास उनके द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बावजूद पुलिस ने उनकी सक्रिय रूप से मदद नहीं की।

    दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त स्थायी वकील ने कहा कि दंपति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएंगे।

    अदालत ने कहा,

    "यह निर्देश दिया जाता है कि एसएचओ और बीट कॉन्स्टेबल का सेल फोन नंबर याचिकाकर्ताओं को दिया जाए, जिसे वे किसी भी स्थिति में कॉल कर सकते हैं।"

    याचिका में नोटिस जारी करते हुए, अदालत ने दिल्ली पुलिस से छह सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी और मामले को सितंबर में अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    केस टाइटल: एम.एस. बेबी और अन्य बनाम दिल्ली सरकार


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