दिल्ली हाईकोर्ट ने रैन बसेरों में रहने वाले लोगों को पर्याप्त सुविधा और इलाज सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए
LiveLaw News Network
31 May 2020 12:49 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान और दिल्ली सरकार को निर्देश जारी कर एआईआईएमएस परिसर में बने रैन बसेरों में रहने वाले लोगों को उचित सुविधा और इलाज मुहैया कराने को कहा है।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने अथॉरिटीज़ से कहा कि रैन बसेरों में COVID-19 को फैलने से रोकने के लिए वे बेहतर तालमेल बनाए रखें और जो संक्रमित हैं उन्हें उचित इलाज मुहैया कराएं।
वीडियो रिकॉर्डिंग देखने के बाद कहा गया कि पिछली सुनवाई में रैन बसेरों में जिन कमियों का उल्लेख रचना मलिक ने किया था उसे दूर कर दिया गया है।
अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीयूएसआईबी के रैन बसेरों में सुविधाओं की उपलब्धता बनाए रखने के लिए उचित व्यवस्था बनाने की ज़रूरत है।
अदालत ने कहा,
"ऐसा लगता है कि पिछले आदेश के बाद … डीयूएसआईबी और दिल्ली के मुख्य सचिव समस्याओं के प्रति सजग हुए हैं और इनको ठीक करने के लिए कदम उठाए गए हैं, हमें डर है कि अदालत की निगरानी के हटते ही पुरानी स्थिति फिर लौट सकती है।"
अदालत ने डीयूएसआईबी को ऐसे रैन बसेरों में सैनिटाइज़र और हैंडवाश की व्यवस्था करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि एम्स के रैन बसेरों और दिल्ली के अन्य सरकारी अस्पतालों के नज़दीक रैन बसेरों में सिर्फ़ मरीज़ और उनके तीमारदार को ही रहने की अनुमति दी जाए ताकि वहां अनावश्यक भीड़भाड़ न हो। रैन बसेरों में रहनेवाले अन्य लोगों को जो बीमार नहीं हैं, डीयूएसआईबी के अन्य रैन बसेरों में शिफ़्ट कर देना चाहिए।
एम्स की पैरवी कर रहे वक़ील आनंद वर्मा ने कहा कि एम्स डीयूएसआईबी के रैन बसेरों का प्रबंधन कर सकता है और इसके लिए वही तरीक़े अपना सकता है जो विश्राम सदनों के लिए अपनाए जाते हैं।
रैन बसेरों में COVID-19 को और नहीं फैलने देने के बारे में कोर्ट ने अथॉरिटीज़ को निर्देश दिया कि रैन बसेरों में रहनेवाले ऐसे सभी लोग जो कोविड-19 से संक्रमित पाए जाते हैं, उन्हें क्वारंटाइन किया जाए ताकि वे अन्य लोगों को संक्रमित न करें।
अदालत ने कहा कि रैन बसेरों में रहने वाले लोगों में संक्रमण फैलने के पीछे अथॉरिटीज़ में समन्वय नहीं होना एक कारण था और एम्स और जीएनसीटीडी अपने-अपने नोडल ऑफ़िसरों को नामित कर इसे दूर कर सकते हैं। इन दोनों अधिकारियों के नाम, इनसे संपर्क के नंबर आदि दोनों साझा कर सकते हैं।
इस मामले में याचिकाकर्ता की पैरवी दर्पण वाधवा और अर्जुन स्याल, मंजीरा दासगुप्ता, मिथु जाईं, विदिशा कुमार और अखिल वहल ने की।