दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को एक क़ैदी को बीए की ऑनलाइन परीक्षा में बैठने के लिए सभी ज़रूरी गैजेट उपलब्ध कराने को कहा

LiveLaw News Network

8 July 2020 4:30 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट ने जेल अधीक्षक को एक क़ैदी को बीए की ऑनलाइन परीक्षा में बैठने के लिए सभी ज़रूरी गैजेट उपलब्ध कराने को कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने संबंधित जेल अधीक्षक को बीए की ऑनलाइन परीक्षा देने के इच्छुक एक क़ैदी को इसके लिए आवश्यक सभी ज़रूरी गैजेट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

    न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की एकल पीठ ने क़ैदी को अंतरिम ज़मानत देने की बजाय उसे जेल में ही सारी ज़रूरी सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए।

    यह आदेश सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर एक ज़मानत आवेदन पर दिया गया जिसमें 45 दिन के अंतरिम ज़मानत की मांग की गई थी ताकि क़ैदी बीए प्रोग्राम की अपनी मुख्य परीक्षा में बैठ सके। यह परीक्षा 10 जुलाई से ऑनलाइन होनी है।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि इस परीक्षा के लिए मौखिक जांच 4 जुलाई से ही शुरू हो चुकी है और वह भी इस मौखिक परीक्षा में भाग लेना चाहता है जो कि मुख्य परीक्षा से पहले होना है।

    शुरू में अदालत ने इस बात पर विचार किया कि याचिकाकर्ता को बीए तीन साल के प्रोग्राम के ओपन बुक एक्ज़ामिनेशन के लिए प्रवेश कार्ड मिल चुका है। यह परीक्षा 10 जुलाई को होगी।

    अदालत ने आगे इस बात पर ग़ौर किया कि याचिकाकर्ता पिछले पांच सालों से तीन साल के बीए प्रोग्राम की परीक्षा पास करने की कोशिश कर रहा है। पिछले साल भी उसने इस परीक्षा में बैठने के लिए अंतरिम ज़मानत की अर्ज़ी दी थी जिसे अस्वीकार कर दिया गया था और उसे कहा गया था कि वह हिरासत में रहते हुए परीक्षा दे।

    इन तथ्यों के आलोक में अदालत ने जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को सभी ज़रूरी गैजेट उपलब्ध कराया जाए ताकि वह मौखिक और मुख्य परीक्षा में बैठ सके।

    इस मामले में याचिका दायर करनेवाला व्यक्ति है ध्रुव द्विवेदी जो रंजीत सिंह बनाम दिल्ली राज्य मामले में आरोपी है।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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