दिल्ली की अदालत ने आप नेता सोमनाथ भारती को एम्स मामले में दो साल की कैद की सजा दी

LiveLaw News Network

23 Jan 2021 10:08 AM GMT

  • दिल्ली की अदालत ने आप नेता सोमनाथ भारती को एम्स मामले में दो साल की कैद की सजा दी

    दिल्ली की एक अदालत के अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने शुक्रवार को आप नेता सोमनाथ भारती को सार्वजनिक संपत्ति क्षति रोकथाम अधिनियम, 1984 की धारा 3 के साथ, आईपीसी की धारा 147, 149, 323, 353 के तहत दोषी करार द‌िया और उन्हें दो साल की कैद की सजा सुनाई।

    न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने अभियुक्त सोमनाथ भारती के खिलाफ दंगा करने, जानबूझ कर चोट पहुंचाने, हमला करने या सार्वजनिक सेवक पर कर्तव्य के कृयान्वयन के दरमियान आपराधिक बल का उपयोग करने और शरारत, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हो का विधिवत दोषी ठहराया है।

    अदालत ने हालांकि पायाकि अभियोजन पक्ष अन्य 4 सह-अभियुक्तों, दलीप झा, जगत सैनी, राकेश पांडे और संदीप के खिलाफ मामला साबित नहीं कर सका।

    उल्लेखनीय है कि यह मामला 2016 का है, जिसमें सोमनाथ भारती, जगत सैनी, दिलीप झा, संदीप, राकेश पांडे और लगभग 300 अज्ञात सहयोगियों के खिलाफ कथित रूप से एम्‍स की दीवार तोड़ने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई थी। वारदात 09.09.2016 की सुबह लगभग 9:45 बजे हुई थी, जबकि एफआईआर अगले दिन 10.09.2016 को दर्ज की गई।

    शिकायत के अनुसार, वे किसी भी सरकारी अधिकारी के साथ नहीं थे और एम्स की दीवार को क्षतिग्रस्त कर दिया। यह भी आरोप लगाया गया कि आरोप‌ियों ने एम्स के सुरक्षाकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया और उन्हें घायल किया।

    अदालत ने अपने फैसले में आरोपी सोमनाथ भारती के बचाव को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि एम्स सुरक्षाकर्मी आईपीसी की धारा 21 के तहत लोकसेवक के दायरे में नहीं आते।

    फैसले में कहा गया, "न्यायालय का विचार है कि आईपीसी के क्लॉज 12 की धारा 21 सार्वजनिक कर्मचारी की श्रेणी में एम्स के सुरक्षा कर्मचारियों के अधिनियम को शामिल करता है, क्योंकि वे सार्वजनिक कर्तव्य निर्वहन के ‌लिए सरकारी एजेंसी/ एम्स से पारिश्रमिक पाते हैं। एम्स के सुरक्षाकर्मी लोक सेवक के प्रत्यायोजित कर्तव्यों का पालन कर रहे थे और लोक सेवक की परिभाषा के तहत विधिवत कवर किए गए हैं। इसलिए, अभियुक्त का बचाव कि एम्स के सुरक्षा कर्मचारी लोक सेवक नहीं हैं और स्वीकार नहीं किया गया है।"

    कोर्ट ने अन्य 4 सह-अभियुक्तों को धारा 437ए सीआरपीसी के संदर्भ में 10,000 रुपए का बेल बांड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

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