जज की चेतावनी के बावजूद दुर्व्यवहार, ऊंची आवाज़ में बहस करने के आरोप में वकील के खिलाफ दिल्ली की अदालत ने आपराधिक कार्यवाही शुरू की

LiveLaw News Network

14 Sep 2021 1:39 PM GMT

  • जज की चेतावनी के बावजूद दुर्व्यवहार, ऊंची आवाज़ में बहस करने के आरोप में वकील के खिलाफ दिल्ली की अदालत ने आपराधिक कार्यवाही शुरू की

    दिल्ली की एक अदालत ने एक वकील के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की है, जिस वकील पर कथित तौर पर न्यायाधीश की चेतावनी के बावजूद फिज़िकल सुनवाई के दौरान कोर्ट चैंबर में दुर्व्यवहार करने और अभियोजक के साथ ऊंची आवाज़ में बात करने का आरोप है।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शिवाजी आनंद एक व्यक्ति की ओर से अंतरिम जमानत की मांग करने वाले एक वकील की दलीलें सुन रहे थे, जिस दौरान उस वकील ने सरकारी वकील पर उनका मजाक बनाने का आरोप लगाया था। हालांकि, अदालत द्वारा बार-बार वकील को चेतावनी देने के बावजूद, वकील ने अपनी तेज़ आवाज जारी रखी।

    न्यायाधीश ने इस तरह के व्यवहार को गंभीरता से लेते हुए वकील से लिखित स्पष्टीकरण मांगा कि वह यह बताएं कि बार-बार चेतावनी के बाद भी उन्होंने अपने दुर्व्यवहार से कार्यवाही बाधित क्यों की?

    सुनवाई की अगली तारीख पर वकील ने कहा था कि वह इस मामले में कोई लिखित स्पष्टीकरण दाखिल नहीं करना चाहते।

    इसे देखते हुए न्यायाधीश ने इस प्रकार आदेश दिया:

    "वकील को सलाह दी गई थी कि उनका ऐसा रुख अपराध की श्रेणी में आ सकता है, फिर भी उन्होंने इस संबंध में कोई लिखित या मौखिक स्पष्टीकरण देने से इनकार कर दिया। यहां तक ​​कि उन्हें अपने इस तरह के कृत्य के लिए पछतावा भी नहीं है, इसलिए इस संबंध में आईपीसी की धारा 228 और आईपीसी और धारा 179 के तहत आगे की कार्यवाही के लिए मिसलेनियस केस दर्ज किया जाए।

    पिछले आदेश दिनांक 08/09/2021 की प्रति के साथ इस आदेश की प्रति को उक्त मिसलेनियस फाइल में रखा जाए। मामला 21/09/2021 को सुना जाएगा। इस आदेश की प्रति अभियोजन पक्ष को भिजवाई जाए।"

    वकील मेडिकल आधार पर अपने मुवक्किल के लिए अंतरिम जमानत की मांग कर रहा था कि 60 वर्षीय व्यक्ति होने के नाते वह कई बीमारियों और स्वास्थ्य जटिलताओं से पीड़ित है, जिसके मद्देनजर उसे अंतरिम जमानत का लाभ दिया जाना चाहिए।

    हालांकि, अदालत ने इस तथ्य पर ध्यान देते हुए अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनकी पिछली अंतरिम जमानत याचिका, इसी तरह के आधार पर अदालत द्वारा खारिज कर दी गई थी।

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