दिल्ली कोर्ट का पुलिस को निर्देश, प्रश्न पत्र में जातिसूचक अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के लिए दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए
LiveLaw News Network
18 Feb 2021 3:58 PM IST
दिल्ली कोर्ट ने (बुधवार) पुलिस अधिकारियों को प्राथमिक शिक्षक परीक्षा (Primary Teacher Examination) के लिए निर्धारित प्रश्न पत्र में जातिसूचक अपमानजनक शब्दों का उपयोग करने के कारण दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।
कड़कड़डूमा जिला न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रविंदर बेदी ने आदेश दिया कि,
"अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम), 1989 के प्रावधानों के तहत किए गए अपराधों के लिए आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसके साथ ही इसी अधिनियम के तहत अधिकार प्राप्त अधिकारी द्वारा जांच की जानी चाहिए, जो मासिक रिपोर्ट के साथ न्यायालय के समक्ष दायर की जाएगी।"
पृष्ठभूमि
यह निर्देश डॉ. सत्य प्रकाश गौतम द्वारा दायर एक आवेदन में दिया गया। इस आवेदन में आरोप लगाया गया था कि बोर्ड ने 2018 और 2019 में आयोजित लगातार दो परीक्षाओं में जानबूझकर जातिगसूचक अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।
शिकायतकर्ता, अनुसूचित जाति (SC) समुदाय का सदस्य है। इसने यह प्रस्तुत किया कि अनुसूचित जाति के लाखों उम्मीदवार दोनों परीक्षाओं में उपस्थित हुए थे और इस तरह के प्रश्न डालकर, बोर्ड ने जानबूझकर पूरे अनुसूचित जाति समुदाय को नीचा दिखाया और अपमानित अपमानित किया था।
बहस
शिकायतकर्ता ने प्रस्तुत किया कि,
"अभियुक्त व्यक्तियों और संबंधित परीक्षा समिति ने जानबूझकर नीचा दिखाने और अपमानजनक प्रश्नों को लगातार दो वर्ष परीक्षा में डाला गया था, अर्थात् ऐसे शब्दों द्वारा अनुसूचित जाति समुदाय को दो बार जानबूझकर अपमानित किया गया।"
आगे कहा कि उसने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम), 1989 की धारा 14 के तहत अपराधों के लिए प्रतिक्रियाशील / DSSSB के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 200 के तहत दो शिकायतें दर्ज कराई थीं। हालांकि, संबंधित पुलिस अधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इसके बाद, कोर्ट से सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने और एफआईआर दर्ज करने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया। सुनवाई के दौरान, प्रतिवादी / डीएसएसएसबी ने अदालत को सूचित किया कि जैसे ही इस तरह के खामियों का पता चला, गुप्त सेल और परीक्षा सेल के वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति का गठन किया गया। इसके बाद मामले में पूछताछ किया गया और पेपर सेटर्स (जिन्होंने पेपर सेट किया था) को काली सूची में सूचीबद्ध कर दिया गया।
जांच-परिणाम
हालांकि, न्यायालय ने देखा कि मामला अभी भी पूर्व-संज्ञान के स्तर पर है और बोर्ड के पास ऐसा कोई लोकल स्टैंडी नहीं है जो कि पेश हो या बहस करे।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि,
"मैं देख रहा हूं कि पेपर सेटर द्वारा जातिगत अपमानजनक शब्दों के साथ प्रश्न केवल 13.10.2018 को नहीं बल्कि एक बार फिर अगले वर्ष यानी 18.08.2019 को पेपर में सेट किया गया था। प्रथम दृष्टया में देखा गया है कि साल 2018 और 2019 के प्रश्न पत्रों में उपयोग किए गए जातिसूचक अपमानजक कथित शब्दों के रूप में प्रतिवादी / DSSSB द्वारा किए गए विभिन्न 'संज्ञेय अपराधों' का शिकायतकर्ता ने खुलासा किया और इसकी उचित जांच की जानी आवश्यक है।"