दिल्ली कोर्ट ने PWD भर्ती मामले में सत्येंद्र जैन के खिलाफ CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की, कहा- कोई सबूत नहीं मिला

Amir Ahmad

4 Aug 2025 5:52 PM IST

  • दिल्ली कोर्ट ने PWD भर्ती मामले में सत्येंद्र जैन के खिलाफ CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की, कहा- कोई सबूत नहीं मिला

    दिल्ली कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) नेता सत्येंद्र जैन और अन्य के खिलाफ PWD में पेशेवरों की अनियमित नियुक्ति और असंबंधित परियोजना निधि से भुगतान के आरोपों से संबंधित दर्ज मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर ली है।

    राउज़ एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज दिग विनय सिंह ने कहा कि कई वर्षों की जांच के बावजूद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (PC Act) या किसी अन्य अपराध के तहत आरोपों का समर्थन करने के लिए किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।

    अदालत ने कहा,

    "जब जांच एजेंसी को इतने लंबे समय तक किसी भी अपराध, विशेष रूप से POC Act 1988 के तहत घटित होने को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं मिला है तो आगे की कार्यवाही का कोई उपयोगी उद्देश्य नहीं होगा। आधिकारिक तौर पर लिया गया हर निर्णय, जिसमें नियमों का कड़ाई से पालन नहीं किया जाता, POC Act लागू करने का आधार नहीं बनता। POC Act, 1988 के प्रावधानों को लागू करने का औचित्य सिद्ध करने के लिए कम से कम कुछ ठोस सबूत तो होने ही चाहिए। केवल कर्तव्य की उपेक्षा या कर्तव्य का अनुचित प्रयोग ही POC Act के तहत उल्लंघन नहीं माना जा सकता।”

    दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की शिकायत के आधार पर तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री जैन और अन्य लोक निर्माण अधिकारियों के खिलाफ 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

    यह आरोप लगाया गया कि जैन और लोक निर्माण अधिकारियों ने भर्ती और वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए सलाहकारों की एक क्रिएटिव टीम की अनियमित रूप से नियुक्ति की।

    यह भी आरोप लगाया गया कि नियुक्ति में मानक भर्ती प्रक्रियाओं को दरकिनार किया गया। वित्त विभाग की मंज़ूरी के बिना बारापुला चरण-III जैसी असंबंधित परियोजनाओं पर खर्च डाल दिया गया।

    लगभग चार वर्षों तक मामले की जांच करने के बाद CBI को कोई आपराधिक मामला या व्यक्तिगत लाभ, रिश्वतखोरी, या किसी आपराधिक इरादे या वित्तीय नियमों के उल्लंघन का कोई सबूत नहीं मिला।

    CBI की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करते हुए जज ने कहा कि आपराधिक षडयंत्र का संकेत देने वाला कोई भी तथ्य मौजूद नहीं था और न ही इन प्रावधानों का समर्थन करने या इनमें से किसी के तहत अधिकार क्षेत्र का आह्वान करने के लिए कोई सबूत मौजूद था।

    न्यायालय ने कहा,

    "प्रस्तुत आरोप और तथ्यात्मक पृष्ठभूमि आगे की जांच या कार्यवाही शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि संदेह सबूत की जगह नहीं ले सकता। यह भी ध्यान देने योग्य है कि किसी पर आरोप लगाने के लिए भी केवल संदेह ही पर्याप्त नहीं है; आगे बढ़ने के लिए कम से कम गहरा संदेह आवश्यक होगा।"

    जज ने आगे कहा,

    "उपर्युक्त तथ्यों और परिस्थितियों में किसी भी सबूत और अनुमति के अभाव में FIR बंद करने के लिए वर्तमान अंतिम रिपोर्ट स्वीकार की जाती है।"

    जज ने कहा कि यदि किसी के खिलाफ कोई नई सामग्री प्राप्त होती है तो CBI मामले की आगे जांच करने और उचित कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगी।

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