'चिकित्सा सहायता में देरी संविधान के अनुच्छेद 21, 19(1)(d) का उल्लंघन है': तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अंतर-राज्यीय परिवहन पर प्रतिबंध लगाने वाले दिशानिर्देश पर रोक लगाई

LiveLaw News Network

15 May 2021 9:38 AM GMT

  • चिकित्सा सहायता में देरी संविधान के अनुच्छेद 21, 19(1)(d) का उल्लंघन है: तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के अंतर-राज्यीय परिवहन पर प्रतिबंध लगाने वाले दिशानिर्देश पर रोक लगाई

    तेलंगाना हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि राज्य की ऐसी किसी भी कार्रवाई को मान्य नहीं किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप उपचार की सख्त जरूरत वाले रोगियों के लिए चिकित्सा सहायता पहुंचने में देरी होती हो। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा जारी उस दिशानिर्देशों पर रोक लगा दी, जिसमें एम्बुलेंस और रोगियों की अंतर-राज्यीय परिवहन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया था।

    राज्य सरकार द्वारा जारी दिनांक 11 मई 2021 के दिशा-निर्देशों में निर्देश दिया गया कि अन्य राज्यों से संबंधित रोगियों को सरकार द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम में एक निर्धारित प्रारूप में आवेदन करने की आवश्यकता है और जब तक उन्हें प्राधिकरण द्वारा अनुमति नहीं दी जाती तब तक वे अस्पताल में भर्ती होने के लिए राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते हैं।

    मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने कहा कि,

    " राज्य की ऐसी किसी भी कार्रवाई को मान्य नहीं किया जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप उपचार की सख्त जरूरत वाले रोगियों के लिए चिकित्सा सहायता पहुंचने में देरी होती हो। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा और इस के साथ ही भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (डी) में देश के नागरिक को भारत के पूरे क्षेत्र में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता का अधिकार है।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य सरकार चिकित्सा सेवाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने में बाधाएं पैदा करने के बजाय जीवन के संरक्षण के लिए कदम उठाने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने यह देखते हुए राज्य सरकार द्वारा उक्त दिशानिर्देशों पर रोक लगा दी।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "हम प्रथम दृष्टया मानते हैं कि प्रतिवादी 1 और 2/राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश के परिणामस्वरूप अन्य राज्यों से संबंधित COVID-19 रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने के लिए तेलंगाना राज्य में प्रवेश करने में बाधाएं उत्पन्न होंगी।"

    कोर्ट ने यह टिप्पणी एक पूर्व आईआरएस अधिकारी गैरीमेला वेंकट कृष्ण राव द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर की है, जिसमें राज्य की सीमा पर एम्बुलेंस के परिवहन को रोकने वाले राज्य सरकार के निर्देश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन बताते हुए राज्य सरकार के कार्यों को चुनौती दी गई थी।

    याचिका में मीडिया रिपोर्टों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार आंध्र प्रदेश राज्य से तेलंगाना के सीमा पर चलने वाली एम्बुलेंस के प्रवेश को प्रतिबंधित कर रही है।

    याचिका में कहा गया कि,

    "सभी विश्वसनीय मीडिया आउटलेट्स द्वारा आगे बताया जा रहा है कि यह वरिष्ठ अधिकारियों के मौखिक निर्देश पर किया जा रहा है और राज्य की सीमा की रक्षा करने वाले अधिकारियों के पास ऐसा करने के लिए कोई लिखित निर्देश नहीं है।"

    याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा दिनांक 8 मई 2021 को जारी आदेश के तहत उपरोक्त कार्रवाई गृह मंत्रालय द्वारा 29 अप्रैल 2021 को आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 10(2) के तहत अस्पतालों में भर्ती के लिए राष्ट्रीय नीति के विपरीत है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय यह निर्देश दिया है कि किसी भी रोगी को इस आधार पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा कि वह एक पहचान पत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ है जो उस शहर से संबंधित है जहां रोगी स्थित है।

    अधिवक्ता श्रीनिवास दम्मलपति ने कल सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किया कि राज्य की कार्रवाई कुछ और नहीं बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 का उल्लंघन करते हुए एम्बुलेंस और रोगियों की अंतरराज्यीय परिवहन को प्रतिबंधित करने का एक अवैध प्रयास है।

    कोर्ट ने कहा कि कि दिशानिर्देश तेलंगाना में प्रवेश के लिए अन्य राज्यों के निवासियों पर एक अनुचित प्रतिबंध लगाता है।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "संविधान संघीय स्तर और राज्य स्तर दोनों पर एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना पर विचार प्रस्तुत करता है जहां सरकार का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य अपने लोगों के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान करना है। इसमें न केवल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं स्थापित करना और चलाना शामिल है। अस्पतालों और चिकित्सा के रेफरल संस्थानों के लिए केंद्र, लेकिन किसी भी नियम, प्रक्रिया और दिशा-निर्देशों के बिना भी ऐसी चिकित्सा सुविधाओं का उपयोग करने और प्राप्त करने का अधिकार भी शामिल है, जिससे कोई भी रोगी चिकित्सा सुविधाओं से वंचित न हो सके।"

    कोर्ट ने इसे देखते हुए नोटिस जारी किया और अगले आदेश तक गाइडलाइंस पर रोक लगा दी।

    न्यायालय ने राज्य को किसी भी नए दिशानिर्देश जारी करके किसी भी अन्य मार्ग को नहीं अपनाने के लिए भी आगाह किया। इसके परिणामस्वरूप तेलंगाना राज्य में अस्पताल में भर्ती होने के लिए पड़ोसी राज्यों से COVID-19 रोगियों को लाने वाली एम्बुलेंस की अंतर-राज्यीय परिवहन पर प्रतिबंध पर रोक लग गई और कोविड इलाज के लिए दूसरे राज्यों से आनेवाले रोगियों को आवेदन करके अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।

    कोर्ट ने कहा कि,

    "हालांकि यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि कोई रोगी अपनी मर्जी और इच्छा से और अपनी सुविधा के लिए प्रतिवादी संख्या 1 और 2 द्वारा स्थापित कंट्रोल रूम से संपर्क करने का विकल्प चुनता है ताकि COVID-19 के इलाज के टाय-अप अस्पताल से संपर्क कर सके तो इसके लिए कंट्रोल रूम को रोगी को उचित सहायता प्रदान करना होगा, लेकिन किसी भी रोगी को COVID-19 संक्रमण के उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने के लिए तेलंगाना राज्य में प्रवेश करने के लिए कंट्रोल रूम के किसी प्राधिकरण से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।"

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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