न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में पुलिस को रिपोर्ट करने में देरी: झारखंड हाईकोर्ट ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण मांगा
LiveLaw News Network
24 Aug 2021 9:48 AM IST
झारखंड हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश स्वर्गीय उत्तम आनंद की मौत से संबंधित मामले में चिकित्सक, अस्पताल प्रबंधन को लापरवाही बरतने के लिए फटकार लगाई। दरअसल, चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधन ने पुलिस अधिकारियों को घटना की सूचना देने में देरी की थी।
कोर्ट को बताया गया कि स्वर्गीय उत्तम आनंद को सुबह करीब साढ़े पांच बजे अस्पताल लाया गया, जबकि सुबह नौ बजे उन्होंने अंतिम सांस ली और उसके बाद 11.45 बजे पुलिस को सूचना दी गई।
अदालत ने राज्य के वकील को अगली तारीख पर अदालत को यह बताने का निर्देश दिया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है क्योंकि वे समय पर घटना के बारे में पुलिस को सूचित करने में विफल रहे।
मुख्य न्यायाधीश रवि रंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने भी इसे एक गंभीर मुद्दा बताया जब न्यायालय को बताया गया कि एफएसएल, रांची में यूरिन और ब्लड टेस्ट की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
कोर्ट ने टिप्पणी की कि
"राज्य का यह विभाग किस उद्देश्य से कार्य कर रहा है। इसके निर्माण की तारीख से बीस साल से अधिक समय के बाद भी राज्य एफ.एस.एल, रांची अभी भी प्रारंभिक अवस्था में प्रतीत होता है।"
न्यायालय ने इस मामले में प्रगति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद इस प्रकार देखा, जिसमें जांच अधिकारी द्वारा फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, रांची के संबंध में एक बयान दिया गया है जिसमें कहा गया है कि यूरिन और ब्लड टेस्ट की सुविधा की अनुपलब्धता के कारण आरोपी व्यक्तियों के यूरिन और बल्ड सैंपल वापस कर दिया गया और उसके बाद इसे एफएसएल, नई दिल्ली भेज दिया गया है।
न्यायालय ने प्रधान सचिव, गृह, जेल और आपदा प्रबंधन, झारखंड सरकार और निदेशक, एफ.एस.एल. को बुलाना उचित समझा। सुनवाई की अगली तिथि 27 अगस्त को बुलाया गया है।
अंत में इस बात पर जोर देते हुए कि धनबाद में न्यायिक अधिकारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई है, न्यायालय ने धनबाद में न्यायाधीश के अधिकारियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए झारखंड राज्य के सक्षम प्राधिकारी को भी पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने झारखंड राज्य के न्यायाधीशों की सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं किया क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय पूरे देश के न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा से संबंधित मामले पर विचार कर रहा है।
हाल ही में, झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए और धनबाद न्यायाधीश की मौत के मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित करते हुए जांच एजेंसी के समक्ष कई प्रासंगिक सवाल उठाए।