उपस्थिति कम होना गम्भीर मामला : कर्नाटक हाईकोर्ट ने एनएलएसआईयू छात्र की याचिका खारिज की

LiveLaw News Network

15 Oct 2020 4:55 AM GMT

  • उपस्थिति कम होना गम्भीर मामला : कर्नाटक हाईकोर्ट ने एनएलएसआईयू छात्र की याचिका खारिज की

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एनएलएसआईयू) के एक छात्र की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उसने कम उपस्थिति के बावजूद उसके प्रोजेक्ट वर्क का मूल्यांकन करने एवं उसे बी. ए. एलएलबी (ऑनर्स) पाठ्यक्रम के तीसरे वर्ष में प्रोन्नत करने की मांग की थी।

    न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित ने माधव मितृका की याचिका खारिज करते हुए कहा,

    "याचिकाकर्ता की इस प्रीमियर लॉ स्कूल में उपस्थिति बहुत ही कम है और यह निर्विवाद आंकड़ा रिट याचिका में समान राहत देने के लिए उसके दावे के विरुद्ध है।"

    याचिकाकर्ता ने बी. ए. एलएलबी (ऑनर्स) एकेडेमिक एंड एक्जामिनेशन्स रेग्युलेशन्स के नियम 6 की शर्तों के तहत लाभ प्रदान किये जाने की मांग की थी। इस नियम के तहत उपस्थिति की कमी को माफ करने का प्रावधान है।

    हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कोई राहत प्रदान करने से इनकार करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी ने याचिकाकर्ता को उपस्थिति कम होने के बारे में सितम्बर 2019 में ही जानकारी दे दी थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "इस विनियमन के संदर्भ में याचिकाकर्ता के अनुरोध पर यूनवर्सिटी द्वारा कई स्तरों पर विचार विमर्श किया गया और उसे खारिज किया जा चुका है। याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कुछ कानूनी या तथ्यात्मक कमियां ढूंढे जाने के बावजूद इस तरह के निर्णय की रिट कोर्ट में गहरी समीक्षा नहीं की जा सकती।"

    कोर्ट ने कहा,

    "उपस्थिति की कमी, खासकर प्रतिवादी एनएलएसआईयू जैसे प्रतिष्ठित लॉ स्कूल द्वारा संचालित विधि पाठ्यक्रम में हाजिरी का कम होना बहुत ही गम्भीर मामला है, जो 'मानवीय आधार' की दलीलों को बहुत अधिक स्वीकार नहीं करती, क्योंकि यह योजना से बाहर है, लेकिन यदि ऐसे मामलों में यदि रिट कोर्ट ढिलाई बरतता है तो इससे बड़े पैमाने पर इसके दुरुपयोग का जोखिम होगा।"

    बेंच ने यूनिवर्सिटी से कहा है कि वह पाठ्यक्रम के अगले सत्र में संभावित पदोन्न्नति के नाम पर वसूली गयी फीस याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के भीतर लौटाये।

    केस का नाम : माधव मितृका बनाम कुलपति, नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी

    केस का नंबर : रिट याचिका संख्या 10721 / 2020

    कोरम: न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित

    पेशी : एडवोकेट सिद्धार्थ बाबूराव ए/डब्ल्यू एडवोकेट विजय राघव सारथी एच एम, (याचिकाकर्ता के लिए), एडवोकेट आदित्य नारायण (प्रतिवादियों के लिए)

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