जेलों में भीड़ कम करने का मामला : बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी ट्रायल कोर्ट से लंबित जमानत आवदेनों का विवरण मांगा

LiveLaw News Network

14 Jun 2020 7:33 PM IST

  • जेलों में भीड़ कम करने का मामला : बॉम्बे हाईकोर्ट ने सभी ट्रायल कोर्ट से लंबित जमानत आवदेनों का विवरण मांगा

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को प्रत्येक प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश से एक रिपोर्ट मांगी है, जिसमें पूछा गया है कि पूरे महाराष्ट्र के सुधारगृहों में रखे गए कैदियों में से कितने कैदियों ने हाई पाॅवर कमेटी की सिफारिशों का लाभ लेने के लिए आवदेन दायर किए और कितने अस्थाई जमानत आवदेन लंबित हैं। कमेटी ने यह सिफारिश COVID 19 महामारी के दौरान जेलों में भीड़ कम करने के चलते की है।

    मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एसएस शिंदे की खंडपीठ इस मामले में दायर कई जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक मुख्य पीआईएल पीपल्स यूनियन सिविल लिबर्टीज ने दायर की थी, जिसमें वर्तमान संकट के दौरान अंडरट्रायल/ कैदियों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया गया था।

    महाराष्ट्र राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एजीपी) और जेल व सुधार सेवाओं के महानिरीक्षक ने 8 जून, 2020 को एक रिपोर्ट दायर की थी। इस रिपोर्ट को देखने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने चिंता करने योग्य तीन बिंदु उठाएः

    1) सोलापुर और औरंगाबाद के सुधारगृहों में क्रमशः 60 और 20 कैदी पाॅजिटिव पाए गए हैं। हालाँकि 18 मई, 2020 को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार अलक्षणी कैदियों का परीक्षण नहीं किया गया है। इसलिए उसने अनुरोध किया कि जेल अधिकारियों को निर्देश दिया जाए कि वह जल्द से जल्द अलक्षणी कैदियों का टेस्ट करवाएं।

    2) यद्यपि सुधारगृहों के कैदियों को महीने में दो बार तीन मिनट की अवधि के लिए फोन कॉल करके अपने परिवार के सदस्यों के साथ बातचीत करने की अनुमति दी गई है, जबकि जेल अधिकारियों की तरफ से 12 फरवरी, 2019 को जारी एक सर्कुलर के अनुसार कैदी अपने परिजनों से लंबी बातचीत कर सकते हैं। इसलिए जेल अधिकारियों को यह निर्देश दिया जा सकता है कि वह 12 फरवरी, 2019 को जारी उक्त सर्कुलर के व्यापक लाभ कैदियों तक पहुंचाएं।

    3) पिछले मंगलवार तक अस्थायी जमानत के लिए दायर 11,527 आवेदन मजिस्ट्रेट /सत्र न्यायालयों के समक्ष लंबित थे। जो 16 मार्च, 2020 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश की भावना या अर्थ के साथ-साथ हाई पाॅवर कमेटी की अनुशंसाओं को भी बेकार कर रहे हैं। इसलिए अनुरोध किया गया है कि मजिस्ट्रेट/सत्र न्यायालयों को निर्देश दिया जाए कि वह इस तरह के आवेदनों पर अपने फैसले देने में तेजी लाए।

    अदालत ने कहा कि जेल के एडीजी की रिपोर्ट से पता चलता है कि वह 18 मई, 2020 को COVID 19 टेस्ट के मामले में आईसीएमआर की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों से अवगत हैं। पुने स्थित स्वास्थ्य सेवाओं निदेशक की तरफ से 8 जून, 2020 को जेल के एडीजी को भेजे गए एक मैमो से भी यह स्पष्ट है। जिसमें उनको सूचित किया गया था कि उन्हें आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुसार ही सुधारगृहों के कैदियों का टेस्ट करवाने की आवश्यकता है।

    अदालत ने कहा,

    ''श्री देसाई की तरफ से दी दलीलों पर आगे विचार करने के बाद पाया गया कि सुधार गृह के कई कैदियों ने Covid19 पाॅजिटिव पाने के बाद अंतिम सांस ली है या मर गए हैं।'' हमने जेल के एडीजी से पूछा है कि वह निम्नलिखित बिंदुओं पर जानकारी प्रस्तुत करेंः

    (ए) सुधारक घरों में अलक्षणी कैदियों व Covid19 पाॅजिटिव पाए गए कैदियों के सीधे सपंर्क में आने वाले कैदियों का टेस्ट करने के लिए कौन से प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।

    (बी) श्री देसाई की दलीलों की प्रामाणिकता के लिए यह बताया जाए कि कितने ऐसे कैदी हैं,जो Covid19 पाॅजिटिव पाए जाने के बाद मर गए हैं।

    पीठ ने जेल के एडीजी को निर्देश दिया है कि वे 12 फरवरी, 2019 के सर्कुलर का लाभ सुधारगृहों के कैदियों को देने पर विचार करें। विशेष रूप से इस तथ्य के आलोक में कि कई सारे विचाराधीन कैदियों को इस विषय पर मौजूदा न्यायिक/ प्रशासनिक आदेश और दिशानिर्देश के आधार पर अस्थायी जमानत पर रिहा किया जा सकता है। जिससे सुधारगृहों पर कैदियों का उतना बोझ नहीं रहेगा, जितना सामान्य समय में होता है। अगर इस सर्कुलर का लाभ देने से इनकार किया जाता है, तो इस आदेश के संदर्भ में दायर की जाने वाली रिपोर्ट में इसके कारण का उल्लेख किया जाए।

    अदालत ने यह भी कहा कि

    ''हम प्रत्येक प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश से रिपोर्ट मंगवाना भी उचित समझते हैं। इसलिए यह बताया जाए कि आज तक हाई पाॅवर कमेटी की सिफारिशों का लाभ लेने के लिए पूरे महाराष्ट्र के सुधारगृहों में रखे गए कैदियों की तरफ से दायर कितने अस्थायी जमानत आवेदन लंबित हैं। वहीं सभी प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की तरफ से इन आवदेनों को दायर करने की तारीख के संबंध में एक रिपोर्ट अलग से दायर की जाए। यह सभी रिपोर्ट सोमवार यानि 15 जून 2020 तक कामकाज के घंटे खत्म होने तक दायर कर दी जाए। अब इस मामले में 16 जून को सुनवाई होगी।''

    आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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