"चुनाव ड्यूटी के तीस दिनों के भीतर COVID-19 का पता चला हो तो यूपी सरकार की अनुग्रह राशि भुगतान नीति के तहत मृत्यु की तारीख महत्वहीन हो जाती है": इलाहाबाद हाईकोर्ट

Avanish Pathak

1 Aug 2022 6:28 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि COVID-19 के दौर में चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारियों के जीवन की सुरक्षा राज्य का परम कर्तव्य था। कोर्ट ने COVID-19 की दूसरी लहर (अप्रैल-मई 2021) के दरमियान चुनावी ड्यूटी के आसपास COVID-19 से मरे कर्मचारियों के आश्रितों को अनुग्रह राशि देने का आदेश दिया है।

    जस्टिस अताउरहमान मसूदी और जस्टिस विक्रम डी चौहान की पीठ न यह भी कहा कि यदि किसी व्यक्ति, जिसे अस्पताल में COVID-19 रोगी के रूप में भर्ती कराया गया था, उसकी मृत्यु हृदय गति रुकने या किसी अन्य कारण से हुई, तब भी ऐसी मृत्यु को COVID-19 मृत्यु माना जाएगा और सरकार मृतक के परिजनों को अनुग्रह राशि प्रदान करने के लिए उत्तरदायी होगी।

    मामला

    उत्तर प्रदेश सरकार ने एक मुआवजा योजना पेश किया है, जिसमें पिछले साल यूपी पंचायत चुनावों के दरमियान चुनाव ड्यूटी में लगे ऐसे कर्मचारियों, जिनकी मृत्यु COVID-19 के कारण हो गई, उनके आश्रितों को 30 लाख की अनुग्रह राशि प्रदान की जानी है।

    इस योजना के तहत, राज्य सरकार ने ऐसी COVID-19 मौतों को शामिल करने का निर्णय लिया है, जो चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर हुई हैं। सकरार की ओर से आगे कहा गया है ह‌ि टेस्ट रिपोर्ट एंटीजन/आरटी पीसीआर पॉजिटिव, ब्‍ल्ड रिपोर्ट, या सीटी स्कैन यह साबित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण होगा कि मृत्यु COVID-19 के कारण हुई थी।

    इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर ऐसे एसिम्पटोमेटिक केस, जिनमें COVID-19 के कारण मृत्यु हो गई, उन्हें भी योजना के तहत कवर किया जाएगा।

    अब, कई कर्मचारियों के आश्रितों ने अदालत के समक्ष रिट याचिका दायर कर दावा किया है कि उनके रिश्तेदारों, जिन्हें पिछले साल यूपी पंचायत चुनावों में ड्यूटी सौंपी गई थी, उनकी मृत्यु COVID-19 के कारण हुई थी, हालांकि, उन्हें राज्य सरकार की योजना के लाभ से वंचित कर दिया गया है।

    राज्य सरकार का रुख था कि चुनाव ड्यूटी की तारीख से 30 दिनों की अवधि के बाद होने वाली कोई भी मौत चुनाव ड्यूटी से संबंधित नहीं है, इसलिए ऐसी मौत से संबंधित दावों को खारिज कर दिया जाएगा जैसा कि याचिकाकर्ताओं के मामले में था।

    अवलोकन

    राज्य सरकार की योजना पर विचार करते हुए, न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि चुनाव ड्यूटी से 30 दिनों की अवधि के बाद यदि किसी COVID पॉजिटिव मामले का पता चला तो वह निश्चित रूप से इस योजना के तहत कवर की गई श्रेणी नहीं है।

    हालांकि, कोर्ट ने पाया कि सरकार के आदेश के अनुसार चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर एसिम्‍प्टोमेटिक मामलों की मृत्यु को योजना के तहत कवर किया गया था, बशर्ते कि दावेदारों द्वारा COVID-19 के कारण मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया हो।

    इसे ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने कहा कि दो स्थितियां, जिन्हें एक जैसा मना जा सकता है, वे हैं; पहला, जहां बिना लक्षण वाले मामले में चुनाव ड्यूटी में भाग लेने के 30 दिनों की अवधि के भीतर COVID-19 के कारण मृत्यु हुई हो और; दूसरा, जहां चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर COVID-19 के संक्रमण का पता चला था, लेकिन उसके बाद मौत इलाज के दौरान या अन्यथा हुई।

    दूसरे शब्दों में, न्यायालय का विचार था कि 30 दिनों के भीतर COVID (एक एसिम्‍प्टोमेटिक मामला होने के कारण) के कारण हुई मृत्यु और 30 दिनों के बाद हुई मृत्यु के बीच ऐसा कोई अंतर नहीं था, हालांकि COVID मामले का पता चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर चला।

    नतीजतन, कोर्ट ने कहा कि राज्य को उन मामलों को भी समझना चाहिए जिनका चुनाव ड्यूटी के 30 दिनों के भीतर पता चला था और उस स्थिति में, एक बार यह तय होने के बाद कि मृत्यु COVID19 के कारण हुई, मृत्यु की तारीख महत्वहीन हो जाएगी।

    याचिकाकर्ताओं के दावों के संबंध में, न्यायालय ने कहा कि वास्तविक परीक्षण कि क्या एक व्यक्ति की मृत्यु COVID के कारण हुई या नहीं, इस नियम द्वारा शासित होगा कि क्या मृत व्यक्तियों का दाखिला COVID-19 के कारण हुआ था? जिसके बाद हृदय गति रुकने या किसी अन्य अंग के खराब होने के कारण मृत्यु होने का कोई मतलब नहीं होगा और इसे COVID1-19 मृत्यु के रूप में माना जाएगा।

    परिणामस्वरूप, एक रिट याचिका को छोड़कर, अन्य सभी याचिकाओं को स्वीकार कर लिया गया और यूपी सरकार को एक महीने की अवधि के भीतर आश्रितों को अनुग्रह राशि जारी करने का निर्देश दिया गया। प्रत्येक याचिकाकर्ता, जिनके दावों को अनुमति दी गई है, उन्हें प्रत्येक मामले में 25000 रुपये कॉस्ट देने का भी आदेश दिया गया है।

    केस टाइटल: कुसुम लता यादव बनाम यूपी राज्य और 4 अन्य [WRIT - C No. - 28249 of 2021]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 349

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