लड़ाई के बाद सोते हुए व्यक्ति पर जानलेवा हमला गैर इरादतन हत्या नहीं बल्कि हत्या: बॉम्बे हाईकोर्ट

Avanish Pathak

27 Oct 2022 6:30 AM GMT

  • बॉम्बे हाईकोर्ट, मुंबई

    बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ट्रक क्लीनर की हत्या की सजा को खारिज करने से इनकार कर दिया।

    कोर्ट ने कहा कि लड़ाई के बाद नींद में एक व्यक्ति की हत्या आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय हत्या का मामला होगा, न कि सदोष मानव हत्या का मामला।

    जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस शर्मिला देशमुख की खंडपीठ ने 2013 में एक सत्र अदालत द्वारा मिट्टू परेडा को दी गई उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा। परेडा ने अपने परिचित पर नींद में लकड़ी के एक टुकड़े से मार डाला था। हत्या के कुछ घंटों पहले मृतक ने उसके साथ लड़ाई की थी और उस पर उसका फोन चुराने का आरोप लगाया था।

    "पीडब्ल्यू-2 और पीडब्लू-5 के साक्‍यों से पता चलता है कि मोबाइल फोन को लेकर हुए झगड़े के बाद अपीलकर्ता ट्रक की चाबी लेने चला गया था और उत्पल ट्रक में सोने चला गया था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता ने उत्पल के साथ मारपीट की थी और वह सो रहा था, यह गंभीर और अचानक उकसावे का मामला नहीं है ताकि आईपीसी की धारा 300 के अपवाद एक के दायरे में आ जाए।"

    आरोपी के वकील ने कहा कि आरोपी को अपराध से जोड़ने के लिए कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है; पूरा मामला बिना पुष्टि के आखिरी बार देखे जाने की अवधारणा पर टिका है। हत्या का कोई मकसद नहीं था।

    उन्होंने कहा कि वह और मृतक दोस्त थे और पूर्व दुश्मनी का कोई सबूत सामने नहीं आया है। उन्होंने आगे कहा कि वे दोनों नशे में थे और यह एक पूर्व नियोजित हमला नहीं था। अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि मकसद स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया था। विवाद का कारण मोबाइल फोन था और मामला संदेह से परे साबित हुआ।

    एक चश्मदीद ने कहा कि उसने आरोपी को ट्रक से बाहर निकलते देखा, उसने लकड़ी का लट्ठा और मृतक खून से लथपथ भी देखा।

    विसंगतियों के मुद्दे पर अदालत ने कहा,

    "हमारी राय में, उक्त विसंगतियां मामूली विसंगतियां हैं, जो अपीलकर्ता को अपराध से जोड़ने के लिए सबूतों की विश्वसनीयता के बारे में संदेह पैदा नहीं करती हैं। चश्मदीद गवाहों से पिक्चर-परफेक्ट रिपोर्ट देने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। कुछ छोटी-मोटी विसंगतियां होना तय है।"

    अदालत ने इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि आरोपी के पास सजा कम कराने का हक है, क्योंकि हमला जुनून की गर्मी में नहीं हुआ था।

    कोर्ट ने कहा,

    "हमला अपीलकर्ता और उत्पल के बीच झगड़े के बहुत बाद हुआ; कि अपीलकर्ता ने उत्पल पर हमला किया जब वह सो रहा था; उत्पल के सिर, छाती और गर्दन पर ताकत साथ हमला किया गया था, जो मौत का कारण बनने के लिए पर्याप्त था; और , कि अपराध में कमी को सही ठहराने के लिए कोई गंभीर और अचानक उकसावे की घटना नहीं हुई थी। हमारी राय में, मामले के तथ्य अपराध को धारा 302 से घटाकर 304 भाग- II करने के लिए अपेक्षित नहीं करते हैं।"

    तद्नुसार कोर्ट ने अपील को खारिज कर दिया।

    केस शीर्षक: मिट्टू @ मिठू भोली परेडा बनाम महाराष्ट्र राज्य

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

    Next Story