'गोहत्या कानून का दुरुपयोग; जांच अधिकारी ने घटनास्थल से केवल गाय का गोबर बरामद किया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को दी राहत, कहा निष्पक्ष जांच नहीं हुई

Avanish Pathak

3 April 2023 2:38 PM GMT

  • गोहत्या कानून का दुरुपयोग; जांच अधिकारी ने घटनास्थल से केवल गाय का गोबर बरामद किया: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को दी राहत, कहा निष्पक्ष जांच नहीं हुई

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक व्यक्ति को उत्तर प्रदेश गोवध अधिनियम के तहत दर्ज अपराध में अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त के खिलाफ मामला दंड कानून के दुरुपयोग का एक स्पष्ट उदाहरण था और यह कि राज्य ने मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की। आरोपी का नाम जुगाड़ी @ निजामुद्दीन है।

    जस्टिस मो फैज आलम खान ने कहा कि किसी भी आरोपी व्यक्ति के कब्जे से या मौके से न तो प्रतिबंधित पशु और न ही उसका मांस बरामद किया गया था और जांच अधिकारी ने केवल एक रस्सी और कुछ मात्रा में गाय का गोबर एकत्र किया था।

    कोर्ट ने कहा,

    "... कुछ चश्मदीदों के बयान हैं, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने आरोपी व्यक्तियों को बछड़े के साथ जमील के गन्ने के खेत की ओर जाते देखा। गायों और बछड़ों को पालतू जानवरों के रूप में रखना गांवों में जाति, पंथ और धर्म के बावजूद एक आम बात है। राज्य का कर्तव्य निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है, जो इस न्यायालय की राय में वर्तमान मामले में नहीं किया गया है।"

    इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी और साथ ही पुलिस महानिदेशक को जांच अधिकारियों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया, ताकि सामान्य तौर पर सभी आपराधिक मामलों और गोहत्या से संबंधित मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके।

    मामला

    अदालत अभियुक्त-निजामुद्दीन की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर गोवध निवारण अधिनियम की धारा 3/5/8 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

    मौजूदा मामले की एफआईआर प्रार्थी सहित चार नामजद अभियुक्तों के खिलाफ दर्ज करायी गयी थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि 16 अगस्त 2022 को शाम साढ़े सात बजे जमील के गन्ने के खेत में प्रतिबंधित पशु का वध किया गया था और जब प्रथम शिकायतकर्ता मौके पर पहुंचा तो उसे एक रस्सी और बछड़े का अधपचा गोबर मिला।

    एफआईआर में यह भी कहा गया कि कुछ ग्रामीणों ने नामजद आरोपितों को एक बछड़े को जमील के गन्ने के खेत की ओर ले जाते हुए देखा था।

    महत्वपूर्ण बात यह है कि जांच अधिकारी ने कोई भी प्रतिबंधित पशु या गाय की संतान का कोई मांस बरामद नहीं किया और मौके पर केवल गाय का गोबर पाया गया और जब उसे फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया तो फॉरेंसिक लैब, लखनऊ ने एक रिपोर्ट दे दी, जिसमें कहा गया था कि फोरेंसिक लैब गाय के गोबर का विश्लेषण करने के लिए नहीं है।

    उपरोक्त बातों पर ध्यान देते हुए खंडपीठ ने पाया कि एफआईआर केवल आशंका और संदेह के आधार पर दर्ज की गई थी और इस तथ्य के बावजूद आरोप पत्र भी दायर किया गया था कि गाय के गोबर और एक रस्सी के अलावा, मौके से कुछ भी बरामद नहीं हुआ था।

    यह देखते हुए कि आरोपी का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और यह कि पर्याप्त शर्तें रखकर निचली अदालत के समक्ष उसकी उपस्थिति सुरक्षित की जा सकती है, पीठ ने याचिका को स्वीकार कर लिया।

    केस टाइटलः जुगाड़ी उर्फ निजामुद्दीन बनाम यूपी राज्य सचिव, होम सिविल सेक्‍शन, लखनऊ के माध्यम से और एक अन्य [आपराधिक विविध अग्रिम जमानत आवेदन धारा 438 सीआरपीसी नंबर-182/2023]

    केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 115

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