COVID 19 : जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए कैदियों को पैरोल पर छोड़ने की प्रकिया को तेज़ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी
LiveLaw News Network
26 March 2020 12:31 PM IST
सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देकर राज्य सरकारों को 23 मार्च को जारी शीर्ष अदालत के आदेश को शीघ्र करवाने की अपील की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च को जेलों में कैदियों की संख्या को कम करने के लिए राज्यों से उन कैदियों को पैरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने के लिए विचार करने पर कहा जो अधिकतम 7 साल की सजा काट रहे हैं।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने राज्य सरकारों को उच्च शक्ति समिति का गठन करने को कहा था जो यह निर्धारित करेगी कि कौन सी श्रेणी के अपराधियों को या मुकदमों के तहत पैरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है।
सोमवार को सुनवाई के दौरान राज्यों द्वारा दाखिल हलफनामों को देखने और अमिक्स क्यूरी दुष्यंत दवे व सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दिए गए सुझावों के बाद शीर्ष अदालत ने राज्यों को एक पैनल गठित करने और कैदियों से संबंधित निर्णय लेने का निर्देश दिया था।
यह आवेदन सेंटर फ़ॉर अकाउंटबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज (सीएएससी) ने दायर ने किया है ताकि जेलों में कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सके।
याचिकाकर्ता ने ने अन्य देशों जैसे अमेरिका से तुलना का भी ज़िक्र किया है जिसने कोरोना वायरस के डर से क़ैदियों को छोड़ने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता ने कहा,
"इसी तरह ईरान ने क़रीब 85,000 हज़ार क़ैदियों को कोरोना वायरस के कारण रिहा किया है। भारत जेलों में क़ैद लोगों की संख्या की दृष्टि से दुनिया में पाँचवें नम्बर पर है और इसलिए उसे हर तरह का एहतियाती क़दम उठाना चाहिए।"
याचिकाकर्ता ने इस बारे में अदालत और सरकार की अपने नेटवर्क के माध्यम से क़ैदियों की पहचान और उन्हें रिहा करने में मदद का प्रस्ताव भी दिया है।