[COVID-19] 'रोगी और उनके परिवार वालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए एक कोने से दूसरे कोने भटकना न पड़े': बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

LiveLaw News Network

24 April 2021 4:21 PM IST

  • [COVID-19] रोगी और उनके परिवार वालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए एक कोने से दूसरे कोने भटकना न पड़े: बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि COVID-19 रोगियों के लिए एंटी-वायरल दवा रेमडेसिविर अस्पतालों / कोविड केंद्रों में उपलब्ध कराया जाए, जिससे रोगियों और उनके परिवार वालों को दवाई के लिए एक कोने से दूसरे कोने न भटकना पड़े और इसके साथ ही हेल्पलाइन नंबर के 24/7 चालू रहना चाहिए।

    मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ ने आदेश दिया कि,

    "दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अस्पताल / कोविड केंद्र में दवा की आपूर्ति करने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों के साथ हेल्पलाइन नंबर के साथ एक नोडल एजेंट नियुक्त किया जाएगा। यह राज्य का पूर्ण दायित्व होगा कि हेल्पलाइन नंबर को पूरे राज्य में 24 घंटे चालू रखा जाना चाहिए।"

    बेंच ने आदेश में कहा कि,

    "रोगी या उनके परिवार वालों को रेमडेसिविर इंजेक्शन का पता लगाने के लिए एक कोने से दूसरे कोने भटकना न पड़े।"

    कोर्ट ने राज्य में कोविड प्रबंधन के दायर एक जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया। हालांकि बेंच ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए समाज के प्रति नागरिकों को उनके कर्तव्यों को याद दिलाया और कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए नागरिकों की लापरवाही भी जिम्मेदार है।

    बेंच ने कहा कि,

    "हमारी चिंता बड़े पैमाने पर समाज के प्रति प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य का है जो हमारी राय में उपेक्षित प्रतीत होता है। कोरोना की दूसरी लहर के लिए नागरिकों की लापरवाही भी जिम्मेदार है। प्रत्येक कानूनी अधिकार के लिए कानूनी कर्तव्य है। यदि नागरिक सभी सावधानियां बरतने और समाज के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल होते हैं तो यह निश्चित रूप से आगे की जटिलताएं पैदा करेगा और महामारी के प्रसार को रोकना करना मुश्किल होगा।"

    बेंच ने आगे कहा कि,

    "इस समय प्रत्येक नागरिक को समाज के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करना चाहिए और ऐसी गतिविधियों में शामिल होने से परहेज करें जिससे इस घातक वायरस के प्रसार में और अधिक वृद्धि हो।"

    पीठ वकील स्नेहा मरजदी द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में रेमेडसिविर इंजेक्शन की कमी, ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी, बेड प्रबंधन से संबंधित समस्याएं और COVID -19 टेस्ट जैसे RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट से जुड़ी समस्याओं की जिक्र है।

    क्या टेस्ट करने से इनकार करने पर वीडियो रिकॉर्ड करना चाहिए ?

    गुरुवार को सुनवाई के दौरान बीएमसी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सखारे ने आरटी-पीसीआर टेस्ट में देरी की बात से इनकार किया और याचिकाकर्ता के पति के मामले को खारिज कर दिया, जहां उसे गलतफहमी में सरकारी अस्पताल में टेस्ट के लिए एक निजी डॉक्टर के पर्चे को पेश करने के लिए कहा गया था।

    सीजे दत्ता ने कहा कि,

    "हम इस अदालत के अधिवक्ताओं के इन प्रस्तुतियों पर अविश्वास कैसे करें? हम भी यही सुन रहे हैं? यह इस बिंदु पर पहुंचे हैं कि यह साबित करने के लिए हर किसी को कैमरे पर आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए पूछना होगा।"

    पीठ ने याचिकाकर्ता की सिफारिश के आधार पर राज्य को और अधिक प्रयोगशालाओं को अनुमति देने पर विचार करने का निर्देश दिया।

    पीठ ने कहा कि,

    "राज्य को आरटी-पीसीआर टेस्ट और रैपिड एंटीजन टेस्ट करने के लिए अधिक प्रयोगशालाओं को अनुमति देने पर विचार करने के लिए निर्देशित किया जाता है, जो आईसीएमआर और एनएबीएल से जुड़े प्रोटोकॉल के अनुसार काम करेंगे। उस संबंध में निर्णय आज से एक सप्ताह के भीतर लिया जाएगा और पात्र प्रयोगशालाओं / केंद्रों को आरटी-पीसीआर टेस्ट और रैपिड एंटीजेन टेस्ट करने की अनुमति दी जाएगी।"

    ऑक्सीजन की कमी

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अर्शिल शाह और अधिवक्ता सिमिल पुरोहित ने कहा कि पूरे राज्य में ऑक्सीजन की उपलब्धता में कमी है और ऑक्सीजन की कमी को दिखाने के लिए विभिन्न सोशल मीडिया पोस्ट और समाचार रिपोर्टों का हवाला दिया।

    राज्य की ओर से पेश एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने कहा कि महाराष्ट्र में 6,86,000 सक्रिय कोविड मामले हैं, जिनमें से 78,000 रोगियों को ऑक्सीजन की आवश्यकता है। वर्तमान में राज्य को प्रतिदिन 1500 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आवश्यकता है और इसके लिए 1200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा रहा है और इसके साथ ही एमओएचएफडब्लू के 18 अप्रैल, 2021 के आदेश के आधार पर अन्य राज्यों से ऑक्सीजन आयात किया जा रहा है।

    एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी ने लगभग 2000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की अनुमानित आवश्यकता का उल्लेख किया और कहा कि भविष्य में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। उन्होंने तर्क दिया कि महाराष्ट्र रोल-ऑन / रोल-ऑफ ट्रेनों (RORO) के माध्यम से ऑक्सीजन आयात करने वाला और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए लगभग 100% ऑक्सीजन उत्पादन को डायवर्ट करने वाला पहला राज्य है।

    खंडपीठ ने अपने आदेश में राज्य को एक ऐसा तंत्र स्थापित करने का निर्देश दिया जिसके द्वारा विभिन्न स्थानों / अस्पतालों में विशिष्ट आवश्यकताओं की पहचान की जा सके और आपूर्ति तदनुसार विनियमित की जा सके।

    कोर्ट की ओर से जारी अन्य दिशा-निर्देश

    1. धूम्रपान करने वालों का डेटा जिनकी COVID-19 की वजह से जान चली गई।

    2. हम केंद्र सरकार और राज्य सरकार को COVID-19 के पीड़ित जो धूम्रपान के आदी हैं से संबंधित प्रतिक्रिया और डेटा रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश देते हैं।

    किसी भी रोगी को बेड की कमी की वजह से इलाज से वंचित न किया जाए

    कोर्ट ने कहा कि हम राज्य सरकार को सरकारी अस्पतालों, नगर निगम अस्पतालों और निजी अस्पतालों में विभिन्न श्रेणी के बेड की उपलब्धता के विषय में एक पोर्टल और एक हेल्पलाइन नंबर जारी करने का निर्देश देते हैं ताकि इससे बेड की कमी की वजह से कोई भी मरीज इलाज से वंचित न रहे।

    पीठ ने इसके बाद राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए कार्यवाही को 4 मई तक के लिए स्थगित कर दिया।

    नासिक ऑक्सीजन गैस त्रासदी

    बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के नासिक में हुई ऑक्सीजन गैस रिसाव त्रासदी के बारे में कहा कि यह चिंता का विषय है। इस त्रासदी में ऑक्सीजन रिसाव के कारण 22 लोगों की मौत हो गई थी।

    जस्टिस दत्ता ने टिप्पणी की कि,

    "एक सभ्य समाज में ऐसा कैसे हो सकता है?"

    जनहित याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद एजी ने बताया कि द नासिक म्युनिसिपल अथॉरिटी द्वारा मुख्य सचिव को भेजी गई प्रारंभिक रिपोर्ट में डॉ. ज़ाकिर हुसैन हॉस्पिटल में हुई घटना पर कहा गया है कि ऑक्सीजन टैंक के रखरखाव की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी के हाथ में थी।

    एजी ने कहा कि ऑक्सीजन का दबाव कम हो रहा था, जिससे रिसाव हुआ।

    एडवोकेट जनरल ने कहा कि,

    "इस बीच, ऑक्सीजन का दबाव इस स्तर तक गिर गया कि आपूर्ति जारी रहना लगभग बंद हो गया। इससे ऑक्सीजन की कटौती हुई और स्थिति लगभग एक घंटे 20 मिनट तक जारी रही। उस स्थिति में मौतें हुई हैं। ऑक्सीजन से 131 मरीज थे, जिनमें 15 वेंटिलेटर पर थे और 16 की गंभीर स्थिति थी।"

    बेंच ने प्रस्तुतियां स्वीकार कीं और बेंच ने मौखिक रूप से एजी को कोर्ट के समक्ष आगे के घटनाक्रम की प्रस्तुति करने के लिए कहा।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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