वित्तीय स्थिति के आधार पर COVID-19 वैक्सीनेशन: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केवल अंत्योदय कार्ड धारकों को वैक्सीन लगाने की नीति पर राज्य सरकार को पुनर्विचार करने का निर्देश दिया
LiveLaw News Network
5 May 2021 12:47 PM IST
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कहा कि COVID-19 के खिलाफ केवल अंत्योदय कार्ड धारकों को टीका लगाने की राज्य सरकार की नीति प्रथम दृष्टया मूल रूप से सही नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन और न्यायमूर्ति पार्थ प्रतिमा साहू की खंडपीठ ने कहा कि,
"यदि उपवर्ग करके टीकाकरण के लिए कोई प्राथमिकता दी जाती है तो क्या यह आवश्यक नहीं है कि टीकारण के लिए उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए जहां COVID19 के सर्वाधिक मामले आ रहे हैं और जहां कोरोना से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इसके साथ ही क्यों न किसी विशेष स्थान या क्षेत्र या समूह में जहां अधिक संवेदनशील लोग काम करते हैं / निवास करते हैं और संक्रमित होने का संदेह है इनको प्राथमिकता दी जाए। "
कोर्ट ने कहा कि COVID-19 की दूसरी लहर के बीच युवा पीढ़ी के साथ-साथ केवल वित्तीय स्थिति के आधार पर उप-वर्गीकरण करके वैक्सीन देना सही नहीं है। इस प्रकार कोर्ट ने राज्य को एक बेहतर नीति बनाने के लिए कहा, जिसमें अंत्योदय कार्ड धारकों, बीपीएल कार्ड धारकों और उपरोक्त गरीबी रेखा के लोगों का टीकाकरण किया जाए।
आदेश में कहा गया कि,
"राज्य द्वारा वैक्सीन का उचित हिस्सा निर्धारित करने और स्पॉट पंजीकरण के लिए 'सहायता डेस्क' स्थापित करने के लिए और उन्हें टीका लगाने के लिए तैयार किया गया है और यह अन्य लोगों के अधिकार से समझौता किए बिना हैं, जो जीवन के अधिकार के संबंध में समान व्यवहार के हकदार हैं। हमारा विचार है कि राज्य सरकार 'अंत्योदय समूह', 'गरीबी रेखा के नीचे' और 'गरीबी रेखा के ऊपर' से संबंधित व्यक्तियों के संदर्भ में टीकाओं के आवंटन के लिए उचित अनुपात तय करें। इसके साथ ही उन समूह को भी टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाए जहां कोरोना के अधिक मामले आ रहे हैं और संवेदनशील व्यक्तियों को भी उचित अनुपात में विभाजित करके टीका का आवंटन किया जाए।"
महामारी के दौरान राज्य के निवासियों को आ रही परेशानी के लिए अधिवक्ता हिमांशु चौबे द्वारा दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने स्वत:संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता चौबे ने तर्क दिया कि 'सामाजिक न्याय' के बहाने 30 अप्रैल, 2021 को जारी किया गया सर्कुलर संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करता है क्योंकि यह किसी भी उचित वर्गीकरण पर आधारित नहीं है।
याचिका में कहा गया है कि,
"अंत्योदय कार्ड धारकों और छत्तीसगढ़ राज्य के अन्य निवासियों के बीच कोई भी समझ योग्य अंतर स्पष्ट नहीं है। टीकाकरण अभियान का प्रमुख उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा और जल्दी से जल्दी लोगों का टीकाकरण करना है क्योंकि कोविड जाति, धर्म या वर्ग देख कर नहीं होता है। COVID19 सभी को समान रूप से प्रभावित करता है।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि लागू की गई नीति विसंगति पैदा कर रही है। इससे टीका की जिस जरूरी है वे टीकाकरण का लाभ नहीं उठा रहे हैं, जिससे टीका का अपव्यय हो है।
याचिकाकर्ता चौबे ने आरोप लगाया कि जब वह वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन सेंटर पर गया तो एक भी व्यक्ति टीका लगवाने के लिए मौजूद नहीं था। इसके अलावा, वहां तैनात अधिकारियों से पूछताछ करने पर पाया कि उस केंद्र में 80 लोगों के टीकाकरण का डोज उपलब्ध है, लेकिन सुबह से टीकाकरण के लिए केवल 3 लोग ही आए। चौबे ने आगे बताया कि राज्य का निर्णय केंद्र सरकार की उदार मूल्य निर्धारण और राष्ट्रीय COVID-19 टीकाकरण रणनीति के विपरीत है।
केंद्र ने COVID-19 के खिलाफ 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों को टीकाकरण की अनुमति दी। यह तर्क दिया गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार राज्य केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है और इन निर्देशों का पालन करने से इनकार नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता से पूछा कि क्या राज्य को केंद्र द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों से हटकर कार्य करने की कोई शक्ति प्राप्त है। महाधिवक्ता ने कहा कि यदि राज्य सरकार द्वारा इस तरह के लाभ को बढ़ाने के लिए कोई कदम उठाया जाता है तो इस पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि यह जरूरी है कि संवैधानिक जनादेश के अनुरूप हो और राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप हो।
अब इस मामले की सुनवाई 7 अप्रैल, 2021 को होगी।
केस शीर्षक: स्वत: संज्ञान जनहित याचिका बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य।