[COVID-19] 'अगर कोई व्यक्ति सामान्य रूप से मुंह और नाक को बिना ढके मास्क पहनता है तो इसे मास्क न पहनने वालों के समान माना जाएगा, दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

24 April 2021 3:38 AM GMT

  • [COVID-19] अगर कोई व्यक्ति सामान्य रूप से मुंह और नाक को बिना ढके मास्क पहनता है तो इसे मास्क न पहनने वालों के समान माना जाएगा, दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार COVID-19 महामारी की गंभीर स्थिति को उजागर करने वाली याचिका का निपटारा करते हुए आदेश दिया कि पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के नगर निकाय के अधिकारी या स्वास्थ्य अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि सभी आम लोग द्वारा मास्क पहनने के प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है और इसके साथ ही राज्य नामित हेल्पलाइन नंबरों पर शिकायतों का तुरंत निवारण किया जाएगा।

    न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश दिया कि अगर कोई व्यक्ति सामान्य रूप से मुंह और नाक को बिना ढके मास्क पहनता है तो इसे मास्क न पहनने वालों के समान माना जाएगा।

    बेंच ने आदेश में कहा कि,

    "राज्य नगर निकाय के अधिकारियों / स्वास्थ्य अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए भी नियुक्त करेंगे कि कि सभी आम लोग द्वारा मास्क पहनने के प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। सार्वजनिक और निजी संस्थानों के प्रमुख कर्मचारियों को उचित तरीके से मास्क पहनने के लिए जागरूक करेंगे। अगर कोई सामान्य रूप से व्यक्ति मुंह और नाक को बिना ढके मास्क पहनता है तो इसे मास्क न पहनने वालों के समान माना जाएगा और वह दंडात्मक कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगा।"

    बेंच एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पिछली सुनवाई में एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता रूपिंदर खोसला ने कोर्ट से बताया कि COVID19 का प्रसार बढ़ता जा रहा है क्योंकि क्षेत्र में सरकारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है।

    कोर्ट ने यह आदेश तीनों राज्यों की ओर से पेश होने वाले वकील के सबमिशन पर दिया, जिसमें राज्यों द्वारा महामारी से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर कई आश्वासन दिए गए हैं।

    हरियाणा राज्य की प्रस्तुतियां

    हरियाणा राज्य की ओर से प्रस्तुत किया गया कि उपायुक्त की अध्यक्षता में हर जिले में नोडल एजेंसियां, संबंधित पुलिस अधीक्षक, नगर परिषद / निगम के प्रतिनिधि और एक सिविल सर्जन जो वर्तमान में आपात स्थिति से निपटने के लिए कार्यात्मक हैं।

    इसके अलावा न्यायालय को यह भी अवगत कराया गया कि राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक जिले के कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव भी उक्त समिति का सदस्य होंगे क्योंकि उसे COVID-19 से जुड़ी शिकायतें प्राप्त होती हैं।

    यह आश्वासन दिया गया कि समिति की उक्त बैठक प्रतिदिन के आधार पर इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से आयोजित की जाएगी और प्रशासन की ओर से जब भी हेल्पलाइन नंबर पर या समिति को कॉल आएगा उस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी जाएगी।

    पंजाब राज्य की प्रस्तुतियां

    पंजाब राज्य ने न्यायालय को अवगत कराया कि उसे जनता की शिकायतों को दूर करने के लिए एक समान समिति के गठन में कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि यह प्रस्तुत किया गया कि एक निर्दिष्ट हेल्पलाइन नंबर 104 पहले ही सौंपा जा चुका है जिसके माध्यम से जनता की सभी प्रकार की शिकायतों को सुना जाता है।

    कोर्ट ने इसे देखते हुए पंजाब राज्य को जल्द से जल्द ऐसी व्यवस्था करने का निर्देश दिया।

    केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की प्रस्तुतियां

    केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की ओर से पेश वकील ने अदालत में प्रस्तुत किया कि एक समर्पित फोन नंबर सहित आम जनता की शिकायतों पर विचार करने के लिए वॉर रूम चालू किया गया है।

    कोर्ट ने नोट किया कि सभी तीन राज्यों ने शिकायतों को तुरंत निपटाने का आश्वासन दिया है और निजी अस्पताल और चिकित्सा संस्थानों के खिलाफ दंडात्मक उपाय किए जाएंगे। कोर्ट ने यह भी देखा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा निजी सुविधाओं के यहां पर दौरा करके जांच भी की जाएगी।

    कोर्ट ने राज्यों को शिकायत कॉल से तुरंत निपटने के आश्वासन पर आदेश दिया कि,

    "लोगों की शिकायतों को सुनने के लिए अधिक कर्मियों को प्रतिनियुक्त किया जाएगा और आस-पास के क्षेत्र में पीसीआर / बीट्स को सक्रिय किया जाएगा। जनता को यह विश्वास दिलाने के लिए कि इस मौजूदा महामारी के बीच हम मदद के लिए उपलब्ध हैं इसके लिए जनता को जागरूक करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया पर इस तरह के नंबर को व्यापक रूप से प्रचारित किया जाएगा।"

    कोर्ट ने देखा कि राज्यों द्वारा दिए गए आश्वासनों का पालन किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा कि दिए गए चरण में इसके द्वारा और कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अदालत ने मामले में याचिका को पुनर्जीवित करने के लिए एमिकस क्यूरी को स्वतंत्रता दी, यदि यह आवश्यक है।

    कोर्ट ने कहा कि, "संबंधित राज्य द्वारा एक सप्ताह के भीतर रजिस्ट्री में हलफनामे के माध्यम से हर जिले के हर दिन की स्थिति की रिपोर्ट दाखिल की जाएगी।"

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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