'18-45 आयु वर्ग के लिए COVID-19 वैक्सीन उपलब्ध नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य के वकील को यूपी सरकार से निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा

LiveLaw News Network

19 May 2021 9:21 AM GMT

  • 18-45 आयु वर्ग के लिए COVID-19 वैक्सीन उपलब्ध नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य के वकील को यूपी सरकार से निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सरकारी वकील को राज्य में COVID-19 की वैक्सीन की उपलब्धता के संबंध में विशेषकर 18-45 आयु वर्ग के व्यक्तियों के संबंध में निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा है।

    जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस सौरभ लावानिया की खंडपीठ ने एडवोकेट हरि प्रसाद गुप्ता द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश पारित किया है।

    खंडपीठ ने कहा कि याचिका बड़े पैमाने पर जनता और वकीलों और उनके वार्डों के लिए चिकित्सा सुविधाओं और सेवाओं से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाती है।

    याचिकाकर्ता ने कहा कि,

    "सरकार ने 18-44 आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण की घोषणा की है, लेकिन तथ्य यह है कि इस आयु वर्ग के लिए टीके उपलब्ध नहीं हैं।"

    याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि,

    1. COVID-19 महामारी की पहली लहर में एक बार जब कोई व्यक्ति COVID-19 पॉजिटिव पाया जाता था, तब सरकारी अधिकारी होम आइसोलेशन के मामले में घर पर दवा आदि मुफ्त में उपलब्ध कराते थे। हालांकि दूसरी लहर के दौरान ऐसी सुविधा नहीं दी जा रही है।

    2. पहली लहर में जब लॉकडाउन के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई कि COVID-19 संक्रमित व्यक्ति अपने दैनिक जीवन के लिए आवश्यक खाद्य सामग्री खरीदने के लिए अपने घर से बाहर नहीं जा पा रहे थे तो प्रशासन राशन उपलब्ध कराने की व्यवस्था करता था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है।

    3. पहली लहर में पैरा-मेडिकल स्टाफ को अपनी ड्यूटी पूरी करने के बाद होटल या गेस्ट हाउस जैसा भी मामला हो, में रखा जाता था ताकि वे बीमारी न फैलाएं, लेकिन इस दूसरी लहर के दौरान यह व्यवस्था नहीं की गई है जिसके परिणामस्वरूप पैरा-मेडिकल स्टाफ ड्यूटी पूरी करके अपने घर वापस आते हैं, जिससे COVID-19 महामारी का प्रसार हुआ है।

    कोर्ट ने कहा कि इलाहाबाद में उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ पहले से ही COVID -19 से संबंधित अपनी स्वत: संज्ञान जनहित याचिका मामले में इसी तरह के मुद्दों पर विचार कर रही है। हालांकि इस याचिका में उठाए गए कुछ मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है।

    डिवीजन बेंच ने अतिरिक्त सीएससी को निर्देश प्राप्त के लिए कहा कि क्या इस याचिका पर विचार किया जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए या याचिकाकर्ता को इलाहाबाद में लंबित कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के लिए कहा जाना चाहिए।

    कोर्ट ने आदेश दिया कि,

    " अतिरिक्त सी.एस.सी. एचपी श्रीवास्तव उपरोक्त बिंदुओं पर मामले में निर्देश प्राप्त करें।"

    अब इस मामले को सुनवाई के लिए 21 मई को सूचीबद्ध किया गया है।

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    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में देश भर में वैक्सीन की डोज की भारी कमी के बीच कहा कि यह समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार बड़े पैमाने पर वैक्सीन का निर्माण करने की कोशिश क्यों नहीं कर रही है। कोर्ट ने सुझाव दिया कि बड़ी चिकित्सा कंपनियां जो देश में काम कर रही हैं और जो खुद से टीके का निर्माण नहीं कर सकते हैं, उन कंपनियों को दुनिया के किसी भी वैक्सीन निर्माता से फॉर्मूला लेना चाहिए और वैक्सीन का उत्पादन शुरू करना चाहिए।

    केस का शीर्षक: हरि प्रसाद गुप्ता बनाम यूपी राज्य और अन्य।

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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