COVID-19 टेस्ट और एंबुलेंसों की संख्या बढ़ाई गई है, दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया

LiveLaw News Network

25 Jun 2020 8:48 AM GMT

  • COVID-19 टेस्ट और एंबुलेंसों की संख्या बढ़ाई गई है, दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया

    दिल्ली सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट को सूचित किया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में COVID-19 मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर परीक्षण क्षमता और एम्बुलेंस के बेड़े में वृद्धि की गई है। COVID-19 मामलों के निस्तारण के लिए दिल्ली की तैयारियों से संबंधित एक सू मोटो मामले में चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान की डिवीजन बेंच को जानकारी दी गई।

    केंद्र और दिल्ली सरकार द्वारा अब तक किए गए कार्यों को स्वीकार करते हुए, अदालत ने कहा कि सरकार और अस्पतालों में तैनात अधिकारियों के बीच कम्यूनिकेशन गैप को भरने की जरूरत है। अदालत ने कहा, अस्पतालों में तैनात अधिकारियों को इस अदालत के आदेशों के बारे में अवगत कराया जाना चाहिए और इसे लागू करने की आवश्यकता है।' अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि नोडल अधिकारियों के नाम भी जनता के लिए उपलब्ध कराए जाएं ताकि किसी भी शिकायत के मामले में उनसे सीधे संपर्क किया जा सके।

    दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए श्री राहुल मेहरा ने कहा कि हेल्पलाइनों की संख्या बढ़ाई गई है, एंबुलेंसों की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। बढ़ते मामलों से निपटने के लिए बुनियादी ढांचा तैयार किया जा रहा है। अदालत को यह सूचित करते हुए कि राज्य की आबादी को देखते हुए हर नागरिक का परीक्षण करना संभव नहीं है, दिल्ली सरकार ने कहा कि हर दिन 18,000 परीक्षण किए जा रहे हैं।

    परीक्षण के मुद्दे पर यह बताया गया कि 5 दिनों की अवधि में कुल 89,290 परीक्षण किए गए हैं। इस आंकड़े में रैपिड एंटीजन और आरटी + पीसीआर परीक्षण दोनों शामिल हैं।

    श्री राहुल मेहरा ने कहा, 'जो आज हमारे लिए आवश्यक है, उससे हम कम से कम 15-20 दिन आगे हैं।' दिल्ली सरकार ने यह भी बताया कि प्रवेश प्रक्रिया की निगरानी के लिए प्रत्येक अस्पताल में वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारियों को तैनात किया गया है। ये अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि अस्पतालों में COVID 19 के किसी भी गंभीर मरीज को प्रवेश से वंचित न किया जाए।

    कोर्ट को बताया गया कि, हालांकि, लक्षणहीन रोगियों या हल्के लक्षणों वाले लोगों को घर में क्वारंटीन होने की सलाह दी जाती है और उन्हें अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जाता है। रीयल टाइम आंकड़ों की रिपोर्टिंग के मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं:

    a) 50 या अधिक बेड वाले अस्पतालों को बेड की उपलब्धता की जानकारी और दिल्ली कोरोना ऐप डाउनलोड करने के लिए दिशा-निर्देश और हेल्पलाइन नंबर दर्शाने के लिए डिस्प्ले बोर्ड लगाने पड़ते हैं,

    b) समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम शुरू किया गया है, जो सभी COVID 19 अस्पतालों के लिए रीयल टाइम आंकड़ों की रिपोर्टिंग का प्रारूप है

    इसके अतिरिक्त, दिल्ली सरकार ने अदालत को बताया कि तनाव या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के दौर से गुजर रहे फ्रंटलाइन श्रमिकों को मनोवैज्ञानिक परामर्श भी प्रदान किया जा रहा है। इंस्टिट्यूट फॉर ह्यूमन बिहेवियरल एंड अप्लाइड साइंसेज (IBHAS) इस कार्य में मदद कर रही है।

    केंद्र सरकार ने कहाकि उन्होंने उन अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जो उनके अधीन हैं। केंद्र ने बताया कि जहां तक ​​परीक्षण का सवाल है, अस्पताल दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कर रहे हैं और हर उस व्यक्ति का परीक्षण कर रहे हैं, जो उनसे संपर्क कर रहा है।

    केंद्र के लिए उपस्थित एएसजी मनिंदर आचार्य ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए अस्पतालों में तैनात किया जा रहा है और देश के अन्य हिस्सों के अस्पतालों को भी डेटा प्रदान किया जा रहा है।

    एमिकस ओम प्रकाश ने दिल्ली सरकार से पूछा कि इसके COVID-19 रोगियों के ल‌िए समर्पित रूप से कितनी एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने तर्क ‌दिया, 'COVID-19 मरीजों के लिए अलग एंबुलेंस होनी चाहिए।' इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि दिल्ली कोरोना ऐप पर वास्तविक समय का डेटा अभी भी नियमित रूप से अपडेट नहीं किया गया है, श्री प्रकाश ने बताया कि एकीकृत बीमारी निगरानी कार्यक्रम के तहत अस्पतालों द्वारा प्रस्तुत डेटा जनता को भी उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

    श्री प्रकाश ने अदालत को सूचित किया कि अस्पतालों ने डेटा साझा करने के उनके अनुरोधों को गंभीरता से नहीं लिया है। सरोज अस्पताल, जीटीबी अस्पताल और आरएमएल अस्पताल के कामकाज के खिलाफ शिकायत की गई। श्री प्रकाश ने बताया, 'उन्होंने मुझे होल्‍ड पर रख दिया और फोन की घंटी बजती रही। आरएमएल अस्पताल ने जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया और कॉल को काट दिया। '

    श्री प्रकाश ने अदालत को बताया कि रियल टाइम डेटा का नियमित अपडेट अभी भी एक उपाय है, जिस पर दोनों सरकारों को काम करने की आवश्यकता है।

    इस बिंदु पर अदालत ने सरकारी वकील से कहा, 'आपके अधिकारी समस्याओं को वैसे क्यों नहीं देख रहे हैं, जिस तरह से एमिकस उन्हें देख रहे हैं। यदि आपके अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें बदल दें। यदि आप उन्हें नहीं बदल सकते हैं, तो हम उन्हें बदल देंगे। अड़ियल या गलत अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में झ‌िझके नहीं।'

    अदालत ने आगे कहा, 'ऐसे अधिकारियों की लापरवाही से अच्छे कामकाज का असर खत्म नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट के सभी निर्देश और प्रयास किसी काम के नहीं होंगे। '

    वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर लाल ने कहा कि परीक्षण की दरों की सीमा तय होने से निजी प्रयोगशालाओं पे घर से परीक्षण नमूने एकत्र करन कम कर दिया है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार को यह भी सुनिश्चित करना है कि गैर-कोविड रोगियों को सुपर स्पेशलिटी उपचार से वंचित नहीं किया जाए। इन दलीलों के बाद, अदालत ने दोनों सरकारों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि अस्पताल रीयल टाइम आंकड़ों को कानून के अनुसार अपडेट करें। अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को करेगी।

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