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COVID 19 : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने और सभी अधीनस्थ न्यायालयों के अंतरिम आदेशों की मियाद 15 मई तक बढ़ाई

LiveLaw News Network
1 April 2020 3:25 AM GMT
COVID 19 : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने और सभी अधीनस्थ न्यायालयों के अंतरिम आदेशों की मियाद 15 मई तक बढ़ाई
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Chhattisgarh High Court

COVID-19 को लेकर स्वतः संज्ञान लेते हुए छतत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 16 मार्च तक समाप्त होने वाले सभी अंतरिम आदेशों की समय सीमा को 15 मई 2020 तक बढ़ा दी है।

यह समय सीमा में यह वृद्धि सभी स्थगनादेशों और ज़मानत के आदेशों पर लागू होगी।

यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनींद्र मोहन श्रीवास्तव ने माहामारी के कारण मुक़दमादारों को जो कठिनाई झेलनी पड़ रही है उसको देखकर पारित किया है।

पीठ ने कहा,

, "संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के तहत अधिकारों का प्रयोग करते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि इस हाईकोर्ट, सभी अदालतों/अधिकरण जो हाईकोर्ट की निगरानी के तहत आते हैं, उनके द्वारा दिए गए सभी अंतरिम आदेश/स्थगन आदेश/अंतरिम ज़मानत आदेश जिनकी मियाद 16 मार्च 2020 को समाप्त हो गई, अब इन आदेशों की मियाद 15.05.2020 तक या इस बारे में समय-समय पर ज़रूरत के अनुसार पास होने वाले आदेशों तक बढ़ा दी गई है बशर्ते कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी विशेष मामले में इसके दौरान कोई आदेश न जारी किया हो।"

राज्य में हाईकोर्ट सहित सभी अदालतों का कामकाज 14 अप्रैल तक निलंबित हैं।

हालाँकि, यह स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई मामला बहुत ज़रूरी है तो संबंधित पक्ष हाईकोर्ट के न्यायिक रजिस्ट्रार के पास ईमेल के माध्यम से पहुँच सकते हैं और जब उनको अनुमति मिल जाती है तो उसकी सुनवाई की जा सकती है।

अदालत ने कहा,

"उचित मात्रा में मास्क, साबुन, हैंडवाश की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। राज्य के अथॉरिटीज़ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत अपने कर्तव्य और कार्यों से बच्चों की देखभाल से बंधे हैं। बाल कल्याण संस्थानों को चाहिए कि वे यह सुनिश्चित करें कि इस तरह के सभी संस्थान उक्त सुरक्षात्मक उपायों का पालन हो।"

अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप राज्य उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने जिन क़ैदियों की पहचान की है और जिन्हें अंतरिम ज़मानत पर रिहा करने के योग्य पाया है उन्हें तत्काल रिहा करे ताकि जेल में भीड़भाड़ को कम किया जा सके।

सदस्य सचिव को निर्देश दिया जाता है कि वह सुप्रीम कोर्ट के इस बारे में दिए गए आदेश को पूरी तरह लागू करवाए।



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