अदालत डीएनए टेस्ट से पितृत्व का निर्धारण करने के लिए सामान्य रूप से आदेश नहीं दे सकती : एमपी हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

8 March 2020 4:30 AM GMT

  • Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child

    MP High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि अदालतें डीएनए परीक्षण के माध्यम से पितृत्व के निर्धारण के लिए सामान्य रूप से आदेश नहीं दे सकतीं, क्योंकि किसी को चिकित्सीय परीक्षण के लिए बाध्य करना उसके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।

    यह आदेश भबानी प्रसाद जेना बनाम संयोजक सचिव, उड़ीसा राज्य महिला आयोग व अन्य, (2010) 8 एससीसी 633 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को देखते हुए दिया गया है, जिसके तहत एक डिवीजन बेंच ने माना था कि-

    " हमारे विचार में जब किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार कि वह स्वयं को मेडिकल परीक्षण के लिए प्रस्तुत न करे और सच्चाई तक पहुंचने के लिए अदालत के कर्तव्य के बीच स्पष्ट टकराव होता है तो पक्षकारों के हितों को संतुलित करने और इस बात पर विचार करने के बाद ही कि क्या इस मामले में निर्णय के लिए डीएनए परीक्षण की आवश्यकता है, अदालत को अपने अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए। "

    एक बच्चे के पितृत्व से संबंधित एक मामले में जब भी डीएनए परीक्षण का अनुरोध किया जाए तो कोर्ट को इस टेस्ट का निर्देश नियमित रूप नहीं देना चाहिए। अदालत को इसके लिए विविध पहलुओं पर विचार करना चाहिए, जिसमें, साक्ष्य अधिनियम की धारा 112 के तहत आने वाले अनुमान , इस तरह के आदेश के फायदे और नुकसान और परीक्षण की ''सख्त जरूरत'' कि क्या अदालत के लिए इस तरह के परीक्षण के उपयोग के बिना सच्चाई तक पहुंचना संभव नहीं है,आदि शामिल हैं।''

    वर्तमान मामले में न्यायमूर्ति जी.एस अहलूवालिया एडीशनल कलेक्टर, जिला विदिशा के आदेश के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें याचिकाकर्ता के उस आवेदन पत्र को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने पितृत्व को निर्धारित करने के लिए प्रतिवादी नंबर 2 का डीएनए परीक्षण कराने की मांग की थी।

    रघुवर (मृतक) की पत्नी और बेटे के रूप में खुद को प्रस्तुत करते हुए प्रतिवादी नंबर 1 और 2 ने रघुवर की संपत्ति में उनके नाम उत्तराधिकारी के तौर पर शामिल करने के लिए एक आवेदन दायर किया था।

    याचिकाकर्ता, मृतक के भतीजे ने उस आवेदन पर अपनी आपत्ति दर्ज की और कहा कि प्रतिवादी नंबर 2 स्वर्गीय रघुवर का पुत्र नहीं था, इसलिए प्रतिवादी को अपने नाम उत्तराधिकारी के तौर पर शामिल करवाने का कोई अधिकार नहीं था।

    मामले के इन्हीं तथ्यों को देखते हुए याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि प्रतिवादी नंबर 2 के पितृत्व को डीएनए टेस्ट के माध्यम से स्थापित किया जाए।

    याचिकाकर्ता के अनुरोध को खारिज करते हुए अदालत ने कहा है कि जब तक बहुत जरूरी कारणों को नहीं दिखाया जाता है तब तक वह डीएनए परीक्षण का आदेश देने की इच्छुक नहीं हैं।

    कोर्ट ने दोहराया कि

    ''ऐसे मामले में जहां एक बच्चे का पितृत्व अदालत के सामने आता है, वहां डीएनए परीक्षण का उपयोग एक अत्यंत नाजुक और संवेदनशील पहलू है। एक दृष्टिकोण यह है कि जब आधुनिक विज्ञान एक बच्चे के पितृत्व का पता लगाने का साधन देता है, तो जब भी आवश्यकता हो इन साधनों का उपयोग करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए।

    अन्य दृष्टिकोण यह है कि अदालत को ऐसी वैज्ञानिक प्रगति और साधनों के उपयोग में अनिच्छुक होना चाहिए जिनके परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की निजता के अधिकार पर हमला हो सकता है और यह न केवल पक्षकारों के अधिकारों के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण हो सकता है, बल्कि बच्चे पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है। कभी-कभी इस तरह के वैज्ञानिक परीक्षण का परिणाम एक निर्दोष बच्चे के जन्म को अवैध बना सकता हैै, भले ही उसकी मां और उसका जीवनसाथी गर्भाधान के समय साथ रहे हों।''

    अदालत ने एक वसीयत के जरिए संपत्ति पर याचिकाकर्ता के दावे को भी खारिज कर दिया है और माना है कि-

    ''इस न्यायालय का विचार है कि उत्परिवर्तन या दाखिलखारिज की कार्यवाही के लिए,प्रतिवादी नंबर 2 को डीएनए परीक्षण से गुजरने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता वसीयत के आधार पर अपने नाम का म्यूटेशन या दाखिलखारिज करवाना चाहता है और वसीयत की वास्तविकता का निर्धारण करने का काम राजस्व अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र से परे है।

    यदि याचिकाकर्ता का यह विचार है कि स्वर्गीय रघुवर द्वारा उसके पक्ष में एक वसीयत निष्पादित की गई थी या बनाई गई थी, तो उसे उचित रूप से गठित सिविल सूट दाखिल करके अपना शीर्षक या दावा स्थापित करना होगा। "

    मामले का विवरण-

    केस का शीर्षक- अजय सिंह बनाम श्रीमती रमा बाई व अन्य।

    केस नंबर- एमपी नंबर 1239/2020

    कोरम- न्यायमूर्ति जी.एस अहलूवालिया

    प्रतिनिधित्व- अधिवक्ता आदित्य शर्मा (याचिकाकर्ता के लिए)


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