रेप केस में जमानत याचिका पर विरोधाभासी रुख अपनाने पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को लगाई फटकार, अधिकारियों को बताया गैर जिम्मेदार
Brij Nandan
11 Jan 2023 10:37 AM IST
दिल्ली की एक अदालत ने रेप केस (Rape Case) में एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए विरोधाभासी रुख अपनाने पर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को फटकार लगाई है।
कोर्ट ने कहा कि 'प्रतिनियुक्त' जांच अधिकारी और भजन पुरा पुलिस स्टेशन के एसएचओ का आचरण गैर-जिम्मेदाराना प्रतीत होता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पवन कुमार मट्टो ने निर्देश दिया कि आदेश की एक कॉपी दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भेजी जाए ताकि स्थिति में सुधार हो सके।
कोर्ट ने कहा,
"दिल्ली पुलिस एक तरफ विरोधाभासी रुख अपना रही है, चार्जशीट पहले से ही मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में दायर की जा चुकी है, वह भी इस आवेदक / अभियुक्त को गिरफ्तारी के बिना। और दूसरी ओर जब इस आवेदक/आरोपी ने सीआरपीसी की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत से राहत पाने के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाया तो इस आवेदन का विरोध किया जा रहा है। इसलिए, इस प्रतिनियुक्त जांच अधिकारी एसआई शालिनी और पीएस भजन पुरा के एसएचओ का आचरण गैर-जिम्मेदाराना प्रतीत होता है।“
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 354, 354ए, 498ए, 323, 406, 506, 509, 377 और 376 के तहत दर्ज एफआईआर में एक परवेज आलम को अग्रिम जमानत देते समय ये टिप्पणियां की गईं।
आलम के वकील ने पहले अदालत से कहा कि उन्हें मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है और कथित अपराधों से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
वकील ने तर्क दिया कि इस मामले में उनकी गिरफ्तारी के बिना मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष पहले ही चार्जशीट दायर किया जा चुका है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त उन सभी नियमों और शर्तों का पालन करेगा जो अदालत द्वारा लगाई जा सकती हैं।
राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने प्रस्तुत किया कि उन्हें अग्रिम जमानत देने में कोई आपत्ति नहीं है।
हालांकि, अदालत ने कहा कि आवेदन के लिए दायर जवाब से पता चलता है कि जांच अधिकारी शालिनी ने अग्रिम जमानत देने के लिए वर्तमान आवेदन का जोरदार विरोध किया है।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने इस तथ्य के आलोक में अधिकारी से जवाब में स्टैंड के लिए सवाल किया कि जांच के दौरान अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बिना आरोप पत्र दायर किया गया था।
शालिनी ने अदालत को बताया कि वह एक 'प्रतिनियुक्त जांच अधिकारी' हैं। और यह कि जिस जांच अधिकारी को मामले से निपटना है वह लंबी छुट्टी पर हैं। अदालत ने आगे कहा कि अदालत में दायर जवाब एसएचओ भजन पुरा द्वारा फॉरवर्ड किया गया है, जहां आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
अदालत ने कहा कि चूंकि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में पहले ही आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और आरोपी को जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया गया था, कोर्ट ऑफ इट्स मोशन बनाम सीबीआई, 109 (2003) डीएलटी 494 मामले में निर्धारित कानून के अनुसार आवेदक/आरोपी परवेज आलम को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है।
केस टाइटल- राज्य बनाम परवेज आलम
दिनांक: 10.01.2023