दिल्ली दंगों के मामले में विशेष लोक अभियोजकों के पेश न होने पर दिल्ली कोर्ट ने चिंता व्यक्त की, मामले को गंभीरता से लेने के लिए डीसीपी से रिपोर्ट मांगी

LiveLaw News Network

10 Dec 2021 11:23 AM GMT

  • दिल्ली दंगों के मामले में विशेष लोक अभियोजकों के पेश न होने पर दिल्ली कोर्ट ने चिंता व्यक्त की, मामले को गंभीरता से लेने के लिए डीसीपी से रिपोर्ट मांगी

    दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली दंगों के मामले में विशेष लोक अभियोजकों के पेश न होने के कारण उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित मामलों के निपटान में देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए पूरे मामले को 'गंभीरता से' लेने के लिए संबंधित डीसीपी से रिपोर्ट मांगी और मामलों में अभियोजन पक्ष प्रतिनिधित्व करने के लिए और एसपीपी नियुक्त करने के लिए भी कहा।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने आदेश दिया,

    "इससे पहले भी मैंने सुधारात्मक उपाय करने के निर्देश देकर डीसीपी एनई को इस स्थिति से अवगत कराया था। इस आदेश की एक प्रति डीसीपी, एनई को भेजी जाए जो इस पहलू को गंभीरता से लेंगे और आगे इन दंगा मामलों में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए एसपीपी नियुक्त करेंगे।"

    कोर्ट ने डीसीपी नॉर्थ ईस्ट को एक सप्ताह की अवधि के भीतर इस मुद्दे पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

    अदालत अभियोजन पक्ष के गवाहों की परीक्षण के लिए करावल नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज प्राथमिकी 59/2020 के मामले पर विचार कर रही थी। जब मामला उठाया गया तो विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने मामले में पेश होने में असमर्थता जताई क्योंकि वह दिल्ली हाईकोर्ट में व्यस्त थे।

    इसके बाद जब मामले में अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करने के लिए दो अन्य विशेष लोक अभियोजकों को बुलाया गया तो उन्होंने भी पेश होने में असमर्थता व्यक्त की और सकारात्मक जवाब नहीं दिया।

    अदालत ने कहा,

    "प्रकृति में बहुत संवेदनशील इन मामलों के संबंध में यह स्थिति है, जिसके लिए यह विशेष न्यायालय स्थापित किया गया था। इन मामलों को पुलिस द्वारा गठित विशेष पीपी के एक पैनल को सौंपा गया था, ताकि इन मामलों में उचित और अभियोजन सुनिश्चित किया जा सके।"

    कोर्ट ने आगे कहा,

    "लेकिन इस अदालत ने कई मामलों में पाया है कि विशेष पीपी, जिन्हें मामले सौंपे गए हैं, अदालत में पेश नहीं होते हैं, जिसके कारण मामलों को बिना किसी कार्यवाही के स्थगित करना पड़ता है, परिणामस्वरूप उनके निपटान में देरी होती है।"

    केस : राज्य बनाम सलमान


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